img

Up Kiran, Digital Desk: बिहार में शिक्षक बनने का सपना देख रहे स्थानीय युवाओं के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई है। राज्य सरकार ने एक ऐसा फ़ैसला लिया है जो लंबे समय से नौकरी की आस लगाए बैठे युवाओं के भविष्य को सीधे तौर पर प्रभावित करेगा। अब शिक्षक भर्ती में बिहार के स्थायी निवासियों को अधिक वरीयता दी जाएगी यानी बाहरी उम्मीदवारों की संभावनाएं सीमित होंगी।

स्थानीय युवाओं को बड़ा मौका

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में हुई कैबिनेट बैठक में इस अहम निर्णय पर मुहर लगी, जिसके तहत शिक्षक भर्ती में कुल 85% सीटें अब बिहार के मूल निवासियों के लिए आरक्षित रहेंगी। यह फ़ैसला शिक्षा के क्षेत्र में रोजगार की चाह रखने वाले स्थानीय छात्रों के लिए एक सकारात्मक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।

क्या है नई व्यवस्था?

नई नीति के तहत, राज्य के वे उम्मीदवार जिन्होंने 10वीं और 12वीं की पढ़ाई बिहार में की है, उन्हें भर्ती प्रक्रिया में प्राथमिकता दी जाएगी। पहले से ही आरक्षण के अंतर्गत एससी, एसटी, ओबीसी, ईबीसी और ईडब्ल्यूएस वर्गों के लिए कुल 60% तक सीटें आरक्षित थीं। वहीं महिलाओं के लिए 35% आरक्षण पहले से लागू है यह भी सिर्फ बिहार की महिलाओं पर लागू होता है। अब बची हुई सीटों में भी 40% हिस्सेदारी स्थानीय उम्मीदवारों को दी जाएगी, जिससे कुल आरक्षण स्थानीय लोगों के लिए 85% से अधिक हो जाएगा।