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Up Kiran, Digital Desk: बिहार में चुनावी बुखार चढ़ चुका है और हर तरफ सियासी चर्चाएं तेज़ हैं। इस बार मुकाबला सिर्फ एनडीए और महागठबंधन के बीच नहीं, बल्कि एक नई ताकत ने मैदान को और दिलचस्प बना दिया है। सी-वोटर के ताज़ा ओपिनियन पोल के मुताबिक, तेजस्वी यादव अभी भी मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे आगे हैं, लेकिन असली सरप्राइज प्रशांत किशोर की एंट्री से आया है।
राजनीति में नए चेहरे के तौर पर उतरे PK ने न सिर्फ प्रचार के नए तरीके अपनाए, बल्कि जनता के बीच खुद को एक मजबूत विकल्प के रूप में पेश किया है। नतीजा ये रहा कि उन्होंने चिराग पासवान ही नहीं, बल्कि मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी पीछे छोड़ दिया है।
त्रिकोणीय मुकाबले ने बढ़ाई पार्टियों की चिंता
पहले तक चुनावी जंग दो धड़ों के बीच मानी जा रही थी, लेकिन अब जन सुराज पार्टी ने समीकरणों को उलझा दिया है। प्रशांत किशोर की पार्टी ने जिस तरह से तेजी से ग्राउंड पकड़ा है, उससे बीजेपी और RJD दोनों को रणनीति फिर से सोचनी पड़ रही है।
लोगों में यह चर्चा भी तेज है कि क्या PK की बढ़ती लोकप्रियता वाकई सीटों में बदल पाएगी या सिर्फ हवा ही रहेगी।
नीतीश कुमार की स्थिति में थोड़ा सुधार, पर चुनौती बरकरार
हालांकि सर्वे में यह बात भी सामने आई कि पिछले कुछ महीनों में नीतीश कुमार की सरकार को लेकर लोगों की संतुष्टि थोड़ी बढ़ी है। फरवरी 2025 में जहां 58% लोग उनके काम से खुश थे, वहीं सितंबर तक यह आंकड़ा 61% पर पहुंच गया।
सरकार की तरफ से विभिन्न योजनाओं और घोषणाओं ने जनता को थोड़ी राहत जरूर दी है, लेकिन असंतुष्ट लोगों की संख्या अब भी कम नहीं – 38% लोग सरकार से नाराज हैं।
नीतीश कुमार के लिए यह राहत की बात जरूर है, लेकिन चुनावी दौड़ में बढ़त बनाने के लिए और मेहनत करनी होगी।
पीएम की कुर्सी के लिए मोदी की पकड़ अब भी मजबूत
बिहार में भले ही विधानसभा चुनाव हो रहा हो, लेकिन लोगों की नजर देश की सियासत पर भी बनी हुई है। प्रधानमंत्री पद को लेकर जब जनता से सवाल किया गया, तो 52% लोगों ने नरेंद्र मोदी को अपनी पहली पसंद बताया।
वहीं राहुल गांधी को लेकर 41% लोगों ने भरोसा जताया। इससे साफ है कि बिहार में अभी भी मोदी का चेहरा एनडीए को मजबूती देने वाला फैक्टर बना हुआ है।