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Up Kiran, Digital Desk: 15 अगस्त 1947 को भारत ने ब्रिटिश शासन से मुक्ति पाई लेकिन इसके साथ ही एक ऐतिहासिक विभाजन भी हुआ जिसके तहत पाकिस्तान अलग देश बन गया। इस विभाजन के परिणामस्वरूप न सिर्फ लाखों लोगों की जानें गईं बल्कि सैकड़ों परिवार भी बिछड़ गए। उस समय से लेकर आज तक भारत और पाकिस्तान के रिश्ते कभी भी सामान्य नहीं हो सके। क्रिकेट की दुनिया में भी इसका असर साफ नजर आता है क्योंकि दोनों देशों के बीच अब कोई द्विपक्षीय सीरीज नहीं खेली जाती।

लेकिन 15 अगस्त के इस खास मौके पर हम आपको तीन ऐसे क्रिकेटरों के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने दोनों देशों की क्रिकेट टीमों के लिए खेला। इन क्रिकेटरों की कहानी स्वतंत्रता संग्राम और विभाजन के दौर के सामाजिक और खेल के परिप्रेक्ष्य को और भी दिलचस्प बनाती है।

1. अब्दुल हफीज़ कर्दार

अब्दुल हफीज़ कर्दार को पाकिस्तान क्रिकेट का जन्मदाता माना जाता है। वे अपने समय के एक प्रभावशाली क्रिकेटर थे जिन्होंने बाएं हाथ से बल्लेबाजी की और साथ ही स्पिन गेंदबाजी भी की। कर्दार का खास शगल था गेंदबाजों के ऊपर सीधे शॉट्स मारना। उन्होंने पाकिस्तान के लिए कुल 23 टेस्ट मैच खेले लेकिन इससे पहले वे भारत के लिए 3 टेस्ट मैच खेल चुके थे। 1952 में पाकिस्तान क्रिकेट टीम के कप्तान बने कर्दार का पहला मैच भारत के खिलाफ था और इसी तरह से वे दोनों देशों के बीच क्रिकेट के महत्वपूर्ण कड़ी बन गए।

2. अमीर इलाही

अमीर इलाही अपने समय के सबसे अच्छे गेंदबाजों में से एक थे। उन्होंने 119 मैचों में 506 विकेट लिए जो एक बड़ा रिकॉर्ड था। शुरुआत में वे एक मीडियम पेसर थे लेकिन बाद में उन्होंने लेग-ब्रेक गेंदबाजी में महारत हासिल की। इलाही ने 1947 में सिडनी में भारत के लिए डेब्यू किया लेकिन पाकिस्तान-भारत विभाजन के बाद उन्होंने पाकिस्तान के लिए 1952-53 में पांच टेस्ट मैच खेले। उनका करियर इस बात का प्रतीक था कि खेल के माध्यम से भी दोनों देशों के बीच रिश्तों के नए मोर्चे खुल सकते थे।

3. गुल मोहम्मद

गुल मोहम्मद का क्रिकेट यात्रा बहुत ही दिलचस्प रही। 22 जून 1946 को भारत के लिए डेब्यू करने वाले गुल मोहम्मद ने पाकिस्तान के लिए 11 अक्टूबर 1956 को अपना अंतिम अंतरराष्ट्रीय मैच खेला। बाएं हाथ के बल्लेबाज गुल मोहम्मद अपने आक्रामक बल्लेबाजी और बेहतरीन फील्डिंग के लिए प्रसिद्ध थे। उनकी सबसे यादगार पारी 319 रन की थी जो उन्होंने 1946/47 रणजी ट्रॉफी में बारोडा टीम के खिलाफ खेली थी। गुल मोहम्मद के करियर में यह विभाजन और दोनों देशों के लिए उनका योगदान आज भी क्रिकेट प्रेमियों के लिए प्रेरणास्त्रोत है।

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