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Jharkhand Elections 2024: आपको पता ही होगा कि झारखंड 24 साल पहले अस्तित्व में आया, इस बार अभूतपूर्व राजनीतिक बदलाव के दौर में है। राज्य की सियासत में न तो पारंपरिक मुद्दे और न ही पुराने समीकरण प्रभावी हैं। चुनावी मैदान में नेता पुरानी समस्याओं को उठाने में असमर्थ नजर आ रहे हैं। इस बदलाव के पीछे 3 से पांच प्रमुख कारण हैं-

60 बनाम 40 की बहस का अंत: काफी वक्त से स्थानीयता का मुद्दा चुनावी एजेंडे का हिस्सा रहा है, मगर इस बार यह चर्चा से गायब है।

जातिगत समीकरणों का कमजोर होना: आदिवासी और अन्य जातियों की गोलबंदी कमजोर पड़ गई है, और अब आदिवासी पहचान और बाहरी घुसपैठ के मुद्दे प्रमुख हो गए हैं।

महिला वोट बैंक में वृद्धि: इस बार महिलाओं का एक स्वतंत्र वोट बैंक उभरा है, जिससे उन्हें लुभाने के लिए विभिन्न योजनाएं पेश की गई हैं।

तीसरे मोर्चे की कमज़ोर उपस्थिति: पहले तीसरे मोर्चे की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, मगर इस बार उनका प्रभाव नाममात्र रह गया है।

बिहार की पार्टियों का प्रभाव कम हुआ: बिहार की पार्टियों का झारखंड में असर कम हुआ है और वे केवल सीमित सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं।

इन बदलावों ने झारखंड की राजनीतिक तस्वीर को पूरी तरह से बदल दिया है।

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