
Up Kiran, Digital Desk: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में फैटी लिवर की समस्या तेजी से बढ़ रही है। यह एक ऐसी स्थिति है जहां आपके जिगर की कोशिकाओं में अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है, जो समय के साथ गंभीर बीमारियों का रूप ले सकती है। अक्सर, हमें पता भी नहीं होता कि हमारी रोजमर्रा की कुछ आदतें ही इस गंभीर समस्या को न्योता दे रही हैं। आइए जानते हैं वो 5 दैनिक आदतें कौन सी हैं जो फैटी लिवर रोग का कारण बन सकती हैं और आपको तुरंत उन्हें बदलने की ज़रूरत है:
प्रसंस्कृत भोजन और जंक फूड का अत्यधिक सेवन: आजकल पैकेटबंद खाद्य पदार्थ, फास्ट फूड और जंक फूड हमारी डाइट का हिस्सा बन गए हैं। इनमें उच्च मात्रा में अस्वस्थ वसा, चीनी, नमक और हानिकारक रसायन होते हैं। इन खाद्य पदार्थों को पचाने में जिगर पर अतिरिक्त भार पड़ता है, जिससे वसा के जमाव की संभावना बढ़ जाती है। चिप्स, कुकीज, पैक्ड स्नैक्स और डिब्बाबंद भोजन इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
गतिहीन जीवनशैली और व्यायाम की कमी: लंबे समय तक बैठे रहना और शारीरिक गतिविधि की कमी फैटी लिवर का एक बड़ा कारण है। जब आप पर्याप्त व्यायाम नहीं करते, तो शरीर कैलोरी को प्रभावी ढंग से बर्न नहीं कर पाता, जिससे अतिरिक्त ऊर्जा वसा के रूप में शरीर में, खासकर जिगर में जमा होने लगती है। निष्क्रियता चयापचय (metabolism) को भी धीमा कर देती है।
अत्यधिक भोजन और कैलोरी का असंतुलन: ज़रूरत से ज़्यादा खाना, खासकर रात में देर तक खाते रहना, फैटी लिवर के जोखिम को बढ़ाता है। जब आप अपनी ऊर्जा खपत से अधिक कैलोरी लेते हैं, तो अतिरिक्त कैलोरी वसा में बदल जाती है और जिगर में जमा होने लगती है। यह आदत मोटापा और इंसुलिन प्रतिरोध (insulin resistance) को भी बढ़ावा देती है, जो फैटी लिवर के प्रमुख कारक हैं।
तेजी से वजन घटाना या क्रैश डाइट: यह थोड़ा विरोधाभासी लग सकता है, लेकिन बहुत तेजी से वजन घटाने की कोशिश करना, खासकर क्रैश डाइट के माध्यम से, जिगर को नुकसान पहुंचा सकता है। जब शरीर अचानक से कैलोरी और पोषक तत्वों से वंचित होता है, तो यह तनाव में आ जाता है और वसा को गलत तरीके से मोबिलाइज करना शुरू कर देता है, जिससे जिगर में वसा जमा हो सकती है।
शर्करा युक्त पेय पदार्थों का अधिक सेवन: कोल्ड ड्रिंक्स, फलों के रस (जिनमें अतिरिक्त चीनी होती है) और अन्य मीठे पेय पदार्थ उच्च फ्रक्टोज कॉर्न सिरप (High Fructose Corn Syrup) से भरे होते हैं। फ्रक्टोज का एक बड़ा हिस्सा सीधे जिगर द्वारा संसाधित होता है, और इसकी अधिक मात्रा जिगर में वसा उत्पादन को सीधे बढ़ावा देती है। यह नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग (NAFLD) का एक प्रमुख कारण है।
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