
Top Toll Plaza: हमारे देश की सड़कें अब पहले से कहीं ज्यादा चमक रही हैं। 1.5 लाख किलोमीटर का नेशनल हाइवे नेटवर्क देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन चुका है और इसमें से 45 हजार किलोमीटर पर टोल वसूली हो रही है। देश भर में 1063 टोल प्लाजा हैं। इनमें से 14 हर साल 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई कर रहे हैं।
बीते पांच सालों में टॉप-10 टोल प्लाजाओं ने लगभग 14 हजार करोड़ रुपये जुटाए। इसमें एनएच-48 का वडोदरा-भरूच टोल प्लाजा नंबर वन रहा। एनएच-48, जीटी रोड और अन्य प्रमुख मार्गों पर ट्रकों का भारी आवागमन इसकी बड़ी वजह है।
फास्टैग ने टोल कलेक्शन को नई रफ्तार दी है। 2019-20 में जहाँ टोल से 27,504 करोड़ रुपये आए थे। वहीं 2023-24 में यह आँकड़ा दोगुना होकर 55,882 करोड़ रुपये पर पहुँच गया।
ड्राइवरों का क्या कहना है
एक ट्रक ड्राइवर ने कहा कि फास्टैग से समय तो बचता है, मगर हर टोल पर 500-600 रुपये देने पड़ते हैं। महीने का हिसाब जोड़ो तो जेब खाली हो जाती है। वडोदरा-भरूच जैसे टोल प्लाजा पर भारी ट्रैफिक के कारण कलेक्शन आसमान छू रहा है, मगर यहाँ जाम की समस्या भी कम नहीं।
सरकार का कहना है कि ये कमाई हाइवे निर्माण और रखरखाव के खर्च का सिर्फ 20 प्रतिशत ही पूरा करती है। बाकी पैसा बजट और कर्ज से आता है। मगर आम लोग पूछ रहे हैं कि यदि सड़कें बन रही हैं, तो टोल प्लाजा की संख्या और शुल्क क्यों बढ़ते जा रहे हैं। राजधानी दिल्ली से जयपुर जाने वाले एक कार चालक हर्षित सिंह ने कहा कि हर 50 किलोमीटर पर टोल है। एक तरफ का खर्च 600 रुपये से ऊपर हो जाता है। यह तो लूट जैसा लगता है।
सरकार के लिए सोने की खान से कम नहीं टोल प्लाजा
आपको बात दें कि टोल प्लाजा से होने वाली कमाई को देखकर लगता है कि सरकार के लिए ये सोने की खान बन गई है। 55,882 करोड़ रुपये का कलेक्शन कोई छोटी रकम नहीं और ये सड़कों के विस्तार का सबूत भी है।