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Pakistan family: पुलिस ने सोमवार को कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से 4 पाकिस्तानी नागरिकों को अरेस्ट किया है। इन चारों में से 2 महिलाएं हैं। इन चारों ने फर्जी दस्तावेज और पहचान पत्र दिखाकर भारतीय पासपोर्ट बनाए। ये चारों पिछले 10 साल से धार्मिक कार्य कर रहे थे। ये आरोपी खुद को हिंदू बताते थे। वह 2014 में दिल्ली आए और 2018 में बेंगलुरु पहुंचे। चारों को रविवार को बेंगलुरु के बाहरी इलाके जिगनी में छापेमारी के दौरान पकड़ा गया।

पुलिस के मुताबिक, अरेस्ट किए गए चारों लोग पाकिस्तान के हैं और उनके नाम कराची के राशिद अली सिद्दीकी उर्फ ​​शंकर शर्मा, लाहौर के आयशा उर्फ ​​आशा रानी, ​​हनीम उर्फ ​​रामबाबू शर्मा, रूबीना उर्फ ​​रानी शर्मा हैं। बेंगलुरु पुलिस ने इन चारों को कोर्ट में पेश किया। जहां आरोपियों को 10 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। इन चारों के अलावा पुलिस तलाश कर रही है कि इनका कोई और साथी या रैकेट तो नहीं है।

खुफिया एजेंसी भी करेगी जांच

पाकिस्तानी नागरिकों की अरेस्टी के बाद खुफिया एजेंसियां ​​भी जिगनी में दाखिल हो गईं। जांच एजेंसियां ​​आरोपियों से पूछताछ कर रही हैं। आरोपी के खिलाफ पासपोर्ट अधिनियम, 1967 की धारा 12(1), 12(1AB), 12(2) के तहत मामला दर्ज किया गया है। 29 सितंबर को बेंगलुरु की जिगनी पुलिस को राजापुरा गांव में पाकिस्तानी नागरिकों के रहने की सूचना मिली। इसके बाद पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए चार लोगों को अरेस्ट कर लिया।

सभी आरोपियों का पासपोर्ट हिंदू नाम पर

इससे पहले चेन्नई पुलिस ने उनके 2 रिश्तेदारों को अरेस्ट किया था। आरोपी राशिद अली सिद्दीकी उर्फ ​​शंकर शर्मा और उसके परिवार के लोग मकान तोड़ रहे थे। पुलिस पूछताछ में राशिद ने दावा किया कि वह दिल्ली का रहने वाला है। पिछले 6 साल से यहीं बेंगलुरु में रह रहे हैं। जांच के दौरान पुलिस को इन चारों के पास से हिंदू नाम वाले पासपोर्ट भी मिले। जब उसके घर की तलाशी ली गई तो दीवार पर मेहंदी फाउंडेशन इंटरनेशनल जश्न ए यूनुस लिखा हुआ मिला।

इसके अलावा पुलिस को उसके घर से एक मुस्लिम धर्मगुरु की तस्वीर भी मिली। जांच में पता चला कि ये लोग पाकिस्तान के हैं और चेन्नई में अरेस्ट किए गए लोग इनके रिश्तेदार हैं। आरोपी राशिद अली सिद्दीकी कराची के लियाकतबाद का रहने वाला है। वह हिंदू बन गए और अपनी पत्नी और माता-पिता के साथ भारत में रहने लगे। 2011 में आयशा का इंटरव्यू सोशल मीडिया के जरिए हुआ था। शादी के वक्त उनका परिवार बांग्लादेश में रहता था। पाकिस्तानी धार्मिक नेताओं द्वारा प्रताड़ित किए जाने के बाद वो अपनी पत्नी के साथ बांग्लादेश चले गए थे। आरोपियों को अपने खर्च के लिए मेहंदी फाउंडेशन से पैसे मिलते थे। यह फाउंडेशन भारत समेत पूरी दुनिया में सक्रिय है।

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