Up Kiran, Digital Desk: पितृ पक्ष का समय हमारे पूर्वजों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए कुछ खास करने का होता है। हम सभी चाहते हैं कि हमारे पितर, जहाँ भी हों, खुश और तृप्त रहें। शास्त्रों में पितरों की शांति और मोक्ष के लिए कई उपाय बताए गए हैं, लेकिन श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करना सबसे उत्तम माना गया है।
लेकिन क्या पूरी गीता पढ़नी जरूरी है? या कोई एक ऐसा अध्याय है जिसे पढ़ने से पितरों को शांति मिलती है?
गीता का यह अध्याय पितरों को दिलाता है मोक्ष
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान श्रीमद्भागवत गीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करना सबसे चमत्कारी और प्रभावी माना जाता है। इस अध्याय में भगवान श्री कृष्ण के विराट स्वरुप का वर्णन है। यह वही स्वरुप है जिसे देखकर अर्जुन का मोह भंग हुआ था और उन्हें जीवन के सबसे बड़े सत्य का ज्ञान मिला था।
माना जाता है कि पितृ पक्ष के दिनों में जब इस अध्याय का पाठ किया जाता है, तो भटक रही आत्माओं को शांति मिलती है और उन्हें अपने लोक जाने का रास्ता मिल जाता है। यह पाठ उन्हें मोह माया के बंधनों से मुक्त करता है।
किस दिन करें यह पाठ: यूं तो पितृ पक्ष के किसी भी दिन आप गीता का पाठ कर सकते हैं, लेकिन त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि को इसका पाठ करना सबसे ज्यादा फलदायी होता है। पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन इस अध्याय का श्रद्धा और भक्ति के साथ पाठ करने से भगवान विष्णु का सीधा आशीर्वाद पितरों को मिलता है, जिससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
जब हमारे पूर्वज तृप्त होते हैं और उन्हें शांति मिलती है, तो वे हमें दिल से आशीर्वाद देते हैं। उनके आशीर्वाद से हमारे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। तो इस पितृ पक्ष, अपने पितरों की शांति के लिए गीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ जरूर करें।
_1070162732_100x75.png)


_1651666473_100x75.png)
_1160617000_100x75.png)