img

Up Kiran, Digital Desk: कोरोना और लॉकडाउन का वो दौर हम सबको याद है। एक ऐसा वक्त जिसने हम सभी को एक ही छत के नीचे लाकर खड़ा कर दिया था, लेकिन यह भी सच है कि हर किसी की छत एक जैसी नहीं थी। जब कुछ लोग घरों में बैठकर नई-नई डिश बना रहे थे, तब कुछ लोग ऐसे भी थे जिनकी थाली पूरी तरह से खाली थी। समाज के इसी कड़वे और दोहरे चेहरे को पर्दे पर लेकर आई हैं जानी-मानी अभिनेत्री तनिष्ठा चटर्जी, लेकिन इस बार एक निर्देशक के रूप में।

उनकी शॉर्ट फिल्म का नाम है "फुल प्लेट" (Full Plate), और यह नाम ही कहानी की गहराई बयां कर देता है। यह फिल्म "काली पीली टेल्स" नाम की एक एंथोलॉजी (कहानियों का संग्रह) का हिस्सा है।

संघर्ष, हिम्मत और उम्मीद की कहानी

तनिष्ठा बताती हैं कि यह फिल्म उनके लिए सिर्फ एक प्रोजेक्ट नहीं है, बल्कि यह उनके दिल से निकली एक कहानी है। यह कहानी "संघर्ष, हिम्मत और उम्मीद" से पैदा हुई है। उन्होंने लॉकडाउन के दौरान जो कुछ महसूस किया और अपने आसपास जो असमानता देखी, उसी को उन्होंने अपनी कहानी का आधार बनाया।

फिल्म दिखाती है कि कैसे एक ही संकट अमीर और गरीब पर बिल्कुल अलग-अलग तरह से असर डालता है। इसमें एक तरफ हैं दिग्गज कलाकार नसीरुद्दीन शाह, जो एक अमीर और विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्ति का किरदार निभा रहे हैं, और दूसरी तरफ है एक गरीब, भूखा बच्चा। यह फिल्म हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या मुश्किल समय में हम इंसान के तौर पर एक-दूसरे का दर्द समझने में नाकाम रहे।

जब नसीरुद्दीन शाह ने स्क्रिप्ट पढ़ी

इस फिल्म को बनाने का सफर भी दिलचस्प था। तनिष्ठा ने जब यह कहानी लिखी, तो उन्हें लगा कि इस दमदार किरदार को केवल नसीरुद्दीन शाह ही निभा सकते हैं। जब उन्होंने स्क्रिप्ट नसीर साहब को भेजी, तो उन्होंने तुरंत हां कह दिया। उनका मानना था कि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण और शक्तिशाली कहानी है जिसे लोगों तक पहुंचना ही चाहिए।

यह फिल्म एक आईना है, जो हमें उस समाज की तस्वीर दिखाता है जिसमें हम रहते हैं। यह हमें याद दिलाती है कि हमारी छोटी-छोटी कोशिशें किसी खाली प्लेट को भरने में मदद कर सकती हैं।