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भारत और जापान के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करते हुए जापान ने भारत को दो अत्याधुनिक शिंकानसेन ट्रेन सेट E5 और E3 सीरीज गिफ्ट में देने की घोषणा की है। ये रेलगाड़ियां 2026 की शुरुआत तक भारत पहुंचेंगी और मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल (MAHSR) कॉरिडोर के निरीक्षण और परीक्षण में अहम भूमिका निभाएंगी। ​

E5 और E3 शिंकानसेन ट्रेनें जापान की विश्वप्रसिद्ध हाई-स्पीड रेल तकनीक का प्रतीक हैं। इन रेलगाड़ियों में खास उपकरण लगे होंगे। ये भारत की भौगोलिक और पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुरूप डेटा कलेक्ट करेंगे। ये डेटा भारतीय इंजीनियरों को शिंकानसेन तकनीक को समझने और भविष्य की ट्रेनों के डिजाइन में मदद करेगा। ​

कब से शुरू हो सकती बुलेट ट्रेन

दोनों देशों की योजना है कि 2030 के दशक की शुरुआत में MAHSR कॉरिडोर पर अगली पीढ़ी की E10 सीरीज की शिंकानसेन ट्रेनें चलाई जाएं। E10 सीरीज को 'अल्फा-X' के नाम से भी जाना जाता है। 400 किमी/घंटा की गति से चलने में सक्षम होगी। E5 और E3 ट्रेनों के निरीक्षण से प्राप्त अनुभव E10 के डिजाइन और संचालन में सहायक होगा। ​

MAHSR परियोजना के पहले चरण में सूरत और बिलिमोरा के मध्य 48 किमी का हिस्सा अगस्त 2026 तक शुरू होने की उम्मीद है। गुजरात में निर्माण कार्य तेज़ी से चल रहा है। यहां 292 किमी तक पुल निर्माण, 374 किमी तक खंभों का काम और 320 किमी तक गार्डर कास्टिंग पूरी हो चुकी है।​

महाराष्ट्र में खासकर मुंबई महानगर क्षेत्र (MMR) में टनल निर्माण कार्य में देरी हो रही है। 21 किमी लंबी सुरंग के लिए टनल बोरिंग मशीनों (TBMs) की आपूर्ति में विलंब के कारण यह देरी हुई है। ये सुरंग निर्माण कार्य कम से कम पांच साल तक चलेगा। इससे महाराष्ट्र में बुलेट ट्रेन सेवा 2030 या उसके बाद ही शुरू हो पाएगी।