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राजस्थान में फर्जी डिग्री मामले को लेकर एसओजी ने बड़ा खुलासा किया है। दरअसल ओपीजीएस यूनिवर्सिटी नकली डिग्री की फैक्ट्री बन गई थी। यहां से एसओजी ने खुलासा किया है कि नौ साल में 1300 छात्रों को फर्जी डिग्री बांटी गई। कुल 26 करोड़ रुपए में यह फर्जी डिग्री बांटी गई और फर्जी डिग्री जिन लोगों को बांटी गई वे आठवीं, 10वीं और 12वीं पास थे। साथ साथ ड्राइवर और खलासी थे।

सुभाष पूनिया जो कि दलाल था, उसकी गिरफ्तारी सबसे पहले हुई। इस यूनिवर्सिटी की अगर बात करें इसके संस्थापक जोगिंदर है। जोगिंदर ने शुरुआत मेरठ यूनिवर्सिटी में काम करके की। उसके बाद फर्जी डिग्री मामले में उसकी गिरफ्तारी भी हुई और उसके बाद फर्जी डिग्री बनाने में लिप्त हो गया। भिवानी, मेरठ में फर्जी डिग्री बांटने का काम जोरों शोरों से किया गया।

हालांकि इस पूरे फर्जी डिग्री को लेकर एसओजी की ओर से 118 लोगों की पहचान की गई है। इनकी भी गिरफ्तारी जल्द होगी। एसओजी निरंतर एक के बाद एक तार जोड़ते हुए चल रही है। सुभाष पूनिया जो दलाल है, उसके परिवार के लोग भी नकली डिग्री के जरिए पीटीआई बन गए। उनसे भी पूछताछ की जा रही है। एसओजी का मानना है कि यह रैकेट काफी लंबे समय से सक्रिय था।

राज्य में अलग अलग जगहों पर इनके लोग सक्रिय थे। 2 से 3 लाख रुपए में फर्जी डिग्री दिया करते थे और कमीशन के ₹50,000 भी दिया करते थे। अलग अलग जगहों पर दबिश भी दी जा रही है। एसओजी का मानना है कि बड़ा रैकेट है। राजस्थान ही नहीं दूसरे राज्यों में भी सक्रिय है तो जिस तरह सुभाष पूनिया से पूछताछ की जा रही है।

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