img

Up Kiran, Digital Desk: भारत एक ऐसा देश है जहां हर गली हर शहर और हर राज्य के नाम में इतिहास की गूंज होती है। ज्यादातर शहरों के नाम देवी-देवताओं या किसी महान व्यक्तित्व के नाम पर होते हैं ताकि लोग अपनी संस्कृति और सभ्यता से जुड़े रहें। मगर क्या आपने कभी सुना है कि किसी शहर का नाम एक राक्षस के नाम पर रखा गया हो। अगर नहीं तो आज हम आपको एक ऐसे ही अनोखे शहर की सैर पर ले चलते हैं - बिहार का गया जिला।

एक असुर के नाम पर बसा शहर

गया जो बिहार का एक प्रमुख जिला है न सिर्फ अपने धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है बल्कि इसकी खूबसूरती भी लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती है। मगर इस शहर का नाम किसी देवी या देवता के नाम पर नहीं बल्कि एक शक्तिशाली असुर - गयासुर - के नाम पर पड़ा है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार गयासुर एक तपस्वी राक्षस था जिसने भगवान विष्णु को प्रसन्न कर उनसे वरदान प्राप्त किया कि उसके शरीर के स्पर्श से सभी पाप नष्ट हो जाएंगे। हालांकि जब गयासुर ने इस वरदान का दुरुपयोग करना शुरू किया तो भगवान विष्णु ने उसे पाताल लोक में भेजने का निश्चय किया। कहा जाता है कि विष्णु जी ने गयासुर को अपने पैरों से दबाकर धरती में समा दिया और उसी स्थान पर गया शहर की स्थापना हुई।

धर्म और आस्था का संगम

गया न केवल हिंदू धर्म का तीर्थ स्थल है जहां लोग अपने पूर्वजों के पिंडदान और श्राद्ध करने आते हैं बल्कि यह बौद्ध धर्म का भी एक अत्यंत पवित्र स्थान है। यही वह धरती है जहां महात्मा बुद्ध को बोधगया में ज्ञान प्राप्त हुआ था।

बोधगया में स्थित वह पीपल का वृक्ष - जिसे आज बोधि वृक्ष कहा जाता है - बौद्ध अनुयायियों के लिए उतना ही पवित्र है जितना हिंदुओं के लिए काशी। हजारों की संख्या में श्रद्धालु हर साल यहां आते हैं और इस भूमि की शांति और ऊर्जा से खुद को जोड़ते हैं।

गर्मियों की छुट्टियों में एक आदर्श गंतव्य

गया की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्वता के साथ-साथ इसकी प्राकृतिक सुंदरता भी आपको मोहित कर देगी। गर्मियों की छुट्टियों में अगर आप किसी शांत आध्यात्मिक और ऐतिहासिक जगह की तलाश में हैं तो गया आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।

यहां का माहौल मंदिरों की घंटियों की आवाज पीपल के पेड़ की छांव और इतिहास की खुशबू - सब मिलकर एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करते हैं।

--Advertisement--