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Up Kiran, Digital Desk: गुजरात की आत्महत्या रोकथाम और मानसिक स्वास्थ्य परामर्श हेल्पलाइन 'जीवन आस्था' ने सेवा के 10 साल पूरे कर लिए हैं. इस एक दशक में, इस हेल्पलाइन ने 1.5 लाख से अधिक कॉल्स पर लोगों की मदद की है और अनगिनत अनमोल जानें बचाई हैं.

10 सितंबर, 2015 को गांधीनगर पुलिस द्वारा शुरू की गई यह हेल्पलाइन आज राज्य की सबसे बड़ी और सबसे प्रभावी मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रणाली बन चुकी है, जो गुजराती, हिंदी और अंग्रेजी में मुफ्त और गोपनीय परामर्श प्रदान करती है.

"यह सिर्फ कॉल नहीं, 1.5 लाख परिवारों की उम्मीद है"

विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर, राज्य के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने हेल्पलाइन के सलाहकारों, पुलिस कर्मियों और मनोचिकित्सकों की टीम की सराहना की. उन्होंने कहा, "यह सिर्फ कॉल का जवाब देना नहीं है, बल्कि 1.5 लाख परिवारों की उम्मीदों और खुशियों को जिंदा रखना है."

इस सेवा को और मजबूत करने के लिए, मंत्री ने मौजूदा बजट के अलावा, जागरूकता और तकनीकी सहायता के लिए 5 करोड़ रुपये के अतिरिक्त आवंटन की भी घोषणा की.

संघवी ने कहा, "अगर एक भी जान बचाई जा सकती है, तो इस प्रोजेक्ट पर खर्च किया गया हर रुपया सार्थक है." उन्होंने यह भी कहा कि गुजरात देश का पहला राज्य था जिसने इस तरह की पहल की स्थापना की.

जब जिंदगी और मौत के बीच 'जीवन आस्था' बनी सहारा

इन सालों में, हेल्पलाइन ने कई गंभीर मामलों में हस्तक्षेप किया है:

नर्मदा नहर में आत्महत्या करने की कोशिश कर रहे एक जोड़े को बचाया.

वित्तीय संकट के दौरान रेलवे ट्रैक पर जान देने पहुंचे एक युवक की जान बचाई.

एक मोटिवेशनल स्पीकर को परामर्श दिया, जो ऑनलाइन गेमिंग में 32 लाख रुपये हारने के बाद निराश थे.

पुलिस अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि कॉल करने वालों की सभी पहचान और समस्याएं पूरी तरह से गोपनीय रखी जाती हैं ताकि लोग बिना किसी झिझक के मदद मांग सकें. हर दिन, हेल्पलाइन टीम 40-50 कॉल अटेंड करती है, जिसमें क्लिनिकल मनोवैज्ञानिकों और गुजरात पुलिस के समन्वय से तत्काल परामर्श प्रदान किया जाता.

राज्य के डीजीपी विकास सहाय और गांधीनगर के एसपी रवि तेजा वमशेट्टी ने हेल्पलाइन के प्रभाव को रेखांकित करते हुए इसे एक "समय पर और महत्वपूर्ण हस्तक्षेप" बताया, जिसने न केवल गुजरात में बल्कि अन्य राज्यों के लोगों की भी जान बचाई है.

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