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Up Kiran, Digital Desk: भारत और पाकिस्तान के बीच फिर से गहराते तनाव के बीच अब सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है – क्या भारत किसी जवाबी कार्रवाई की तैयारी में है। अगर हां तो उसका पहला निशाना कौन होगा? घटनाक्रमों खुफिया रिपोर्टों और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के विश्लेषणों को देखा जाए तो इशारा साफ है – भारत की निगाहें अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित मुरीदके शहर पर टिक चुकी हैं।
क्यों अहम है मुरीदके?
मुरीदके सिर्फ एक शहर नहीं है। यह वह आतंकी प्रयोगशाला है जहां बीते दो दशकों में भारत के खिलाफ सैकड़ों हमलों की स्क्रिप्ट लिखी गई। लाहौर से कुछ ही दूरी पर स्थित यह शहर लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय रहा है जो ‘जमात-उद-दावा’ के नाम से काम करता है।
यहां आतंकी ट्रेनिंग से लेकर रणनीतिक बैठकें तक होती हैं। हाफिज सईद सैफुल्लाह हाशिम मूसा और पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के अधिकारी नियमित रूप से यहां देखे जाते हैं। यह न केवल लश्कर का ऑपरेशनल सेंटर है बल्कि इसे आतंकवाद की कमांड और कंट्रोल यूनिट भी माना जाता है।
एनआईए इनपुट: पहलगाम हमले से लेकर मुरीदके तक
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को चौंकाने वाली जानकारी मिली है।
जांच में पता चला कि इस हमले की योजना 2 फरवरी को रावलकोट (PoK) में हुई एक मीटिंग में बनाई गई थी। इसमें लश्कर जैश-ए-मोहम्मद और यहां तक कि हमास के सदस्य भी शामिल थे। इसके बाद मार्च में मुरीदके में एक और बैठक हुई जिसमें आईएसआई अधिकारी पाक सेना के प्रतिनिधि और हाशिम मूसा व तलाह भाई जैसे बड़े आतंकी शामिल हुए।
इसी बैठक में पहलगाम हमले को अंजाम देने का प्लान अंतिम रूप से तैयार किया गया। इस कड़ी से यह स्पष्ट होता है कि मुरीदके लश्कर के प्लानिंग नेटवर्क का दिल है।
अमेरिका का ‘लादेन मॉडल’ सुझाव
इस तनावपूर्ण परिदृश्य के बीच एक और महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुआ – अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने एक प्रेस बयान में कहा कि भारत को पाकिस्तान से खुला युद्ध करने से बचना चाहिए मगर आतंकियों को ‘लादेन मॉडल’ की तरह घर में घुसकर मारना चाहिए।
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