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Up Kiran, Digital Desk: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने मेडिकल साइंस से जुड़े विशेषज्ञों को भी चौंका दिया है। आमतौर पर गर्भावस्था में भ्रूण का विकास मां के गर्भाशय में होता है, लेकिन यहां एक महिला के शरीर में यह प्रक्रिया सामान्य तरीके से नहीं हुई। महिला के लिवर में भ्रूण विकसित हो रहा था। यह न केवल एक दुर्लभ घटना है, बल्कि जीवन के लिए भी बेहद खतरनाक मानी जाती है।
जब गर्भाशय नहीं, लिवर बना भ्रूण का घर
इस विशेष स्थिति को चिकित्सा की भाषा में इन्ट्रा हेपेटिक प्रेग्नेंसी कहा जाता है। यह एक्टॉपिक प्रेग्नेंसी का ही एक असाधारण रूप है। आमतौर पर एक्टॉपिक केस में भ्रूण फेलोपियन ट्यूब में विकसित होता है, लेकिन कुछ मामलों में यह पेट की गुहा, अंडाशय या अन्य अंगों से चिपक सकता है। लिवर में भ्रूण का विकास मेडिकल इतिहास में बेहद दुर्लभ माना जाता है।
डॉ. कर्णिका तिवारी, जो नोएडा के मदरलैंड हॉस्पिटल में प्रसूति और स्त्री रोग विभाग की प्रमुख हैं, बताती हैं कि इन्ट्रा हेपेटिक प्रेग्नेंसी एक आपातकालीन स्थिति होती है, जिसे नजरअंदाज करना जानलेवा साबित हो सकता है।
क्यों और कैसे होता है ऐसा?
इस जटिल स्थिति के पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं। जैसे:
फेलोपियन ट्यूब का क्षतिग्रस्त होना या उसमें अवरोध
पिछली पेट की सर्जरी या संक्रमण का इतिहास
आईवीएफ या अन्य प्रजनन तकनीकों का उपयोग
पेट में पहले लगी कोई चोट
ऐसे मामलों में यदि निषेचित अंडाणु गर्भाशय में इम्प्लांट नहीं हो पाता, तो वह पेट की गुहा में गिर सकता है। चूंकि लिवर एक रक्त-संचार से भरपूर अंग है, इसलिए भ्रूण वहां इम्प्लांट होकर विकसित होना शुरू कर सकता है।
कैसे पहचानें इस खतरनाक स्थिति को?
इस प्रकार की गर्भावस्था के लक्षण आम गर्भावस्था से काफी अलग होते हैं, जो इस स्थिति की पहचान को और मुश्किल बना देते हैं। इनमें शामिल हो सकते हैं:
पेट के ऊपरी दाएं हिस्से में असहनीय दर्द
असामान्य रूप से तेज़ रक्तस्राव
बार-बार मिचली आना या उल्टी होना
चक्कर आना या बेहोशी महसूस होना
लिवर के आसपास भारीपन या सूजन महसूस होना
जैसे-जैसे भ्रूण का आकार बढ़ता है, लिवर पर दबाव बढ़ता जाता है, जिससे इसकी सतह फट सकती है।
लिवर फटना बन सकता है जान का खतरा
इस स्थिति में सबसे बड़ा खतरा होता है लिवर के फटने का, जिससे शरीर के अंदर तेज़ी से खून बह सकता है। अगर समय रहते इलाज न हो, तो महिला की जान भी जा सकती है। इन्ट्रा हेपेटिक प्रेग्नेंसी को समय पर अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन जैसे जांचों से पहचानना बेहद जरूरी है, ताकि जटिलताओं को टाला जा सके।
चिकित्सा जगत में हलचल
इस मामले ने डॉक्टरों को भी चौंका दिया है। ऐसा केस लाखों में कभी सामने आता है। विशेषज्ञों की मानें, तो ऐसे मामलों की संख्या दुनिया भर में उंगलियों पर गिनी जा सकती है। इस केस की गंभीरता को देखते हुए महिला का तुरंत ऑपरेशन किया गया और उसकी जान बचाई जा सकी।
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