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Up Kiran, Digital Desk: पेरिस पैरालिंपिक 2024 में भारत की बेटी दयावंती ने अपने शानदार प्रदर्शन से सबका दिल जीत लिया, भले ही वह मेडल से बस एक कदम दूर रह गईं। महिलाओं की डिस्कस थ्रो (चक्का फेंक) F64 स्पर्धा के फाइनल में दयावंती ने 38.83 मीटर का जबरदस्त थ्रो फेंककर एक नया एशियन रिकॉर्ड बना दिया। हालांकि, वह इस ऐतिहासिक प्रदर्शन के बावजूद चौथे स्थान पर रहीं और कांस्य पदक से मामूली अंतर से चूक गईं।

एक ही इवेंट में दो भारतीय: इस फाइनल मुकाबले की खास बात यह थी कि इसमें भारत की दो एथलीट हिस्सा ले रही थीं। दयावंती के अलावा, कंचन लखानी ने भी फाइनल में अपनी जगह बनाई और 35.53 मीटर के थ्रो के साथ छठा स्थान हासिल किया।

इस स्पर्धा का स्वर्ण पदक नाइजीरिया की गुडनेस न्वाचुकवु ने 41.51 मीटर के पैरालिंपिक रिकॉर्ड थ्रो के साथ जीता। रजत पदक फिजी की नैबिली वातुनिसिनु के नाम रहा, जबकि कांस्य पदक नाइजीरिया की ही फुन्मी ओडुवाइये ने जीता।

यूक्रेन के एथलीट ने रचा इतिहास, तोड़ा वर्ल्ड रिकॉर्ड

वहीं दूसरी ओर, पुरुषों की शॉट पुट (गोला फेंक) F40 स्पर्धा में यूक्रेन के ऑलेक्जेंडर ग्नेज्डिलोव ने इतिहास रच दिया। उन्होंने 12.08 मीटर का हैरतअंगेज थ्रो फेंककर न सिर्फ स्वर्ण पदक जीता, बल्कि एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया। उनका यह प्रदर्शन पैरालिंपिक के सबसे यादगार पलों में से एक बन गया।

दयावंती का पदक न जीत पाना भले ही थोड़ा निराशाजनक हो, लेकिन उनका एशियन रिकॉर्ड तोड़ना भारत के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है और यह दिखाता है कि हमारे पैरा-एथलीट दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को टक्कर देने का दम रखते हैं।