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Up Kiran, Digital Desk: केरल से एक ऐसी खबर आई है जो किसी को भी डरा सकती है। सोचिए, आपको एक आवारा कुत्ता काट ले, आप डॉक्टर के पास जाएं, सारे टीके लगवाएं... और फिर भी एक महीने बाद आपकी मौत हो जाए। यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि केरल की कड़वी सच्चाई है, जहां एक 65 साल की महिला के साथ ठीक ऐसा ही हुआ।
इस घटना ने सिर्फ उस परिवार को ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य और देश की स्वास्थ्य व्यवस्था को हिलाकर रख दिया है। अब सवाल यह उठ रहा है कि अगर जिंदगी बचाने वाला टीका ही काम नहीं कर रहा, तो लोग आखिर भरोसा किस पर करें?
क्या हुआ था उस दिन कृष्णम्मा के साथ?
पथानामथिट्टा की रहने वाली 65 वर्षीय कृष्णम्मा के लिए सितंबर का वह दिन किसी बुरे सपने की तरह था। एक आवारा कुत्ते ने उन पर इतनी बुरी तरह हमला किया कि वह जमीन पर गिर गईं और कुत्ते ने उनके चेहरे पर गहरा काट लिया।
परिवार वाले उन्हें तुरंत अस्पताल ले गए। डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया और कथित तौर पर उन्हें एंटी-रेबीज का टीका भी दिया गया। परिवार को लगा कि अब सब ठीक हो जाएगा। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। इलाज के बावजूद, कृष्णम्मा की हालत बिगड़ती चली गई और संक्रमण ने धीरे-धीरे उनके शरीर पर कब्जा कर लिया। अंत में, वह जिंदगी की जंग हार गईं।
यह सिर्फ एक मौत नहीं, आंकड़े डराने वाले हैं
यह घटना इसलिए भी ज्यादा चिंताजनक है क्योंकि यह कोई इकलौता मामला नहीं है। केरल इस समय आवारा कुत्तों के आतंक से बुरी तरह जूझ रहा है।
जरा सोचिए, पिछले पांच महीनों में 1 लाख 65 हजार से ज्यादा लोगों को आवारा कुत्तों ने काटा है।
और इनमें से 17 लोगों की मौत रेबीज से हो चुकी है।
यह आंकड़े बताते हैं कि समस्या कितनी गंभीर हो चुकी है। यह अब सिर्फ गली-मोहल्ले का मुद्दा नहीं, बल्कि एक बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन गया है।
अब मानवाधिकार आयोग ने लिया एक्शन
जब मामला इतना बढ़ गया, तो राज्य मानवाधिकार आयोग को इसमें दखल देना पड़ा। आयोग के अध्यक्ष जस्टिस अलेक्जेंडर थॉमस ने सरकार को फटकार लगाते हुए तुरंत एक एक्शन प्लान बनाने का निर्देश दिया है। उन्होंने पूछा है कि भविष्य में ऐसी मौतों को रोकने के लिए सरकार क्या ठोस कदम उठा रही है।
आयोग ने खुद मीडिया में आई खबरों के आधार पर इस मामले का संज्ञान लिया है और स्थानीय स्व-शासन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव से एक महीने के अंदर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।