
Up Kiran, Digital Desk: साल में एक बार 15 दिनों का एक ऐसा समय आता है, जब हमारे पूर्वज यानी पितर पृथ्वी पर अपने परिवार वालों से मिलने आते हैं. इस समय को पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष कहा जाता है. यह वो मौका होता है जब हम अपने उन पूर्वजों को याद करते हैं जो आज हमारे बीच नहीं हैं, और उनके प्रति अपना सम्मान और आभार प्रकट करते हैं. माना जाता है कि इन दिनों में किया गया श्राद्ध और तर्पण सीधे हमारे पितरों तक पहुंचता है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है.
लेकिन श्राद्ध और तर्पण करने के कुछ खास नियम होते हैं, जिनका पालन करना बहुत ज़रूरी है. एक छोटी सी गलती भी पितरों को नाराज़ कर सकती है और पितृ दोष का कारण बन सकती है. तो चलिए, आसान भाषा में समझते हैं कि पितृ पक्ष में हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
श्राद्ध और तर्पण का सही तरीका क्या है?
1. सही समय पर करें श्राद्ध:
श्राद्ध हमेशा दोपहर के समय (कुतुप और रौहिण मुहूर्त) में किया जाना चाहिए. सुबह या शाम के समय किया गया श्राद्ध पितरों को नहीं मिलता.
2. कौन करता है श्राद्ध?
घर का बड़ा बेटा या पोता श्राद्ध करने का अधिकारी होता है. अगर ये दोनों नहीं हैं, तो परिवार का कोई भी पुरुष सदस्य श्राद्ध कर सकता है.
3. दक्षिण दिशा का महत्व:
पितरों का वास दक्षिण दिशा में माना गया है. इसलिए, श्राद्ध की सभी क्रियाएं दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके ही करनी चाहिए.
4. किसका करें इस्तेमाल?
तर्पण करते समय हाथ में कुश (एक तरह की घास) और काले तिल ज़रूर रखें. माना जाता है कि कुश और तिल के बिना पितर जल ग्रहण नहीं करते. इसके अलावा, चांदी के बर्तन या पीतल-तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल करना शुभ माना जाता है. लोहे के बर्तनों से बचना चाहिए.
5. कैसा होना चाहिए भोजन?
श्राद्ध के दिन पूरी तरह सात्विक भोजन बनाना चाहिए. लहसुन-प्याज का इस्तेमाल बिल्कुल न करें. इस दिन अपने पितरों की पसंद का खाना ज़रूर बनाएं. श्राद्ध का भोजन सबसे पहले गाय, कुत्ते, कौवे, चींटी और देवताओं को अर्पित करें, जिसे पंचबलि कहते हैं. इसके बाद ब्राह्मणों को आदर सहित भोजन कराएं और दान-दक्षिणा देकर विदा करें. आखिर में पूरे परिवार को एक साथ बैठकर भोजन करना चाहिए.
पितृ पक्ष में भूलकर भी न करें ये काम:
बाल और दाढ़ी-मूंछ न कटवाएं: इन 15 दिनों में दाढ़ी बनाना, बाल कटवाना और नाखून काटना मना होता है.
नए काम की शुरुआत से बचें: इस दौरान कोई भी शुभ काम जैसे शादी, गृह प्रवेश, या नए वाहन की खरीदारी नहीं करनी चाहिए.
मांस-मदिरा से दूर रहें: पितृ पक्ष में घर में मांस, शराब जैसी तामसिक चीज़ों का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए.
किसी का अपमान न करें: घर आए किसी भी मेहमान या भिक्षु का अपमान न करें. हो सकता है आपके पितर किसी भीरूप में आपके द्वार पर आ सकते हैं.
झूठ न बोलें: इन दिनों में वाद-विवाद से बचें और किसी से भी कड़वे शब्द न बोलें.
पितृ पक्ष केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि अपने पूर्वजों की कुर्बानियों और उनके दिए गए जीवन के प्रति आभार व्यक्त करने का एक जरिया है. इन नियमों का पालन करके हम न केवल अपने पितरों की आत्मा को शांति पहुंचा सकते हैं, बल्कि उनके आशीर्वाद से अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि भी पा सकते हैं.