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Up Kiran, Digital Desk: आंध्र प्रदेश में डॉक्टर बनने का सपना देख रहे हजारों छात्रों और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का इंतजार कर रही जनता के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली नई सरकार ने राज्य में 10 नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना को हरी झंडी दे दी है। इन कॉलेजों का निर्माण सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public-Private Partnership - PPP) मॉडल के तहत किया जाएगा, जिसका उद्देश्य राज्य के स्वास्थ्य ढांचे को विश्वस्तरीय बनाना और प्रदेश को 'बीमारी-मुक्त' बनाना है।

क्यों है यह फैसला इतना बड़ा?

स्वास्थ्य मंत्री वाई. सत्य कुमार ने इस महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा करते हुए बताया कि पिछली वाईएसआरसीपी सरकार ने बिना उचित योजना और सुविधाओं के कुछ मेडिकल कॉलेज शुरू कर दिए थे। नई सरकार उन सभी फैसलों की समीक्षा कर रही है और यह सुनिश्चित करेगी कि नए कॉलेज सभी आवश्यक बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के साथ स्थापित हों।

PPP मॉडल से क्या होगा फायदा?

PPP मॉडल के तहत सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर काम करेंगे। इससे कई फायदे होंगे:

तेजी से निर्माण: निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता और निवेश से इन कॉलेजों का निर्माण तेजी से पूरा किया जा सकेगा।

विश्वस्तरीय सुविधाएं: निजी भागीदार यह सुनिश्चित करेंगे कि इन कॉलेजों और उनसे जुड़े अस्पतालों में नवीनतम तकनीक और आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हों।

अधिक मेडिकल सीटें: इन 10 कॉलेजों के खुलने से राज्य में एमबीबीएस की सीटों में भारी वृद्धि होगी, जिससे अधिक छात्रों को डॉक्टर बनने का अवसर मिलेगा।

बेहतर स्वास्थ्य सेवा: नए कॉलेजों से जुड़े अस्पताल आम जनता, विशेषकर ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में, बेहतर तृतीयक स्वास्थ्य सेवाएं (speciality healthcare) प्रदान करेंगे।

'बीमारी-मुक्त आंध्र' का विजन

मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने 'बीमारी-मुक्त आंध्र प्रदेश' बनाने का लक्ष्य रखा है। यह योजना उसी विजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सरकार का मानना ​​है कि अधिक डॉक्टरों को तैयार करके और स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत करके ही इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। सरकार जल्द ही इन कॉलेजों के निर्माण के लिए निजी भागीदारों की पहचान करने की प्रक्रिया शुरू करेगी और इस परियोजना को तेजी से आगे बढ़ाएगी।