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आगरा के गढ़ी रामी गांव में आज वीर योद्धा राणा सांगा की जयंती पर बड़ा आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन को लेकर पूरे शहर में विशेष सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। करणी सेना इस मौके को एक बड़े शक्ति प्रदर्शन के रूप में मनाने जा रही है। दावा किया गया है कि इस आयोजन में देशभर से लगभग तीन लाख क्षत्रिय शामिल होंगे। कार्यक्रम दोपहर 1:15 बजे से शुरू होकर शाम 5 बजे तक चलेगा। इसे 'रक्त स्वाभिमान सम्मेलन' नाम दिया गया है।

वीरता की प्रतीक राणा सांगा की जयंती

यह आयोजन राणा सांगा की वीरता, स्वाभिमान और देशभक्ति को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से किया जा रहा है। राणा सांगा न सिर्फ मेवाड़ के शासक थे बल्कि उनकी गिनती भारत के महान योद्धाओं में होती है, जिन्होंने विदेशी आक्रांताओं के खिलाफ अनेक युद्ध लड़े। हाल ही में समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन द्वारा दिए गए बयान के बाद इस आयोजन को लेकर और भी ज्यादा भावनात्मक रंग ले लिया है।

शहर में सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम

आगरा पुलिस ने इस आयोजन को देखते हुए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं। पूरा शहर मानो एक सुरक्षा घेरे में तब्दील कर दिया गया है। अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है, ड्रोन से निगरानी की जा रही है और हर महत्वपूर्ण स्थान पर पुलिस गश्त बढ़ा दी गई है। प्रशासन की तरफ से यह सुनिश्चित किया गया है कि कानून व्यवस्था बनी रहे और किसी प्रकार की अशांति ना फैले।

विवाद की पृष्ठभूमि

दरअसल, समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन के बयान ने इस आयोजन को और अधिक संवेदनशील बना दिया है। 21 मार्च को संसद में दिए गए बयान में उन्होंने कहा था कि राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर को भारत बुलाया था। इसी संदर्भ में उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारतीय मुसलमानों को बाबर का वंशज माना जाता है, तो अन्य समुदायों को भी ऐसे ऐतिहासिक पात्रों से जोड़ा जा सकता है। इस बयान को लेकर क्षत्रिय समाज में भारी रोष फैल गया।

करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने 26 मार्च को सांसद के आगरा स्थित आवास पर प्रदर्शन किया और वहां तोड़फोड़ की। इस घटनाक्रम के बाद से माहौल और अधिक संवेदनशील हो गया है।

करणी सेना की मांगें और आंदोलन

करणी सेना ने इस पूरे विवाद के बाद कुछ ठोस मांगें रखी हैं:

सांसद रामजी लाल सुमन को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।

उन्हें राणा सांगा के स्मारक रूपवास जाकर क्षमा याचना करनी होगी।

करणी सेना ने उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।

उनका बयान सामाजिक सौहार्द और एकता को नुकसान पहुंचाने वाला बताया गया है।

कुछ नेताओं ने तो यहां तक मांग की है कि उनकी संसद सदस्यता रद्द की जाए।

राणा सांगा: एक परिचय

राणा सांगा का असली नाम महाराणा संग्राम सिंह था। उन्होंने 1509 से 1528 तक मेवाड़ पर शासन किया। वे अपनी असाधारण वीरता, न्यायप्रियता और क्षत्रिय एकता के प्रतीक माने जाते हैं। उन्होंने दिल्ली, गुजरात और मालवा के सुल्तानों के खिलाफ कई युद्धों में विजय प्राप्त की। 1527 में बाबर के खिलाफ खानवा की प्रसिद्ध लड़ाई लड़ी गई थी, जिसमें वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे और एक वर्ष बाद 1528 में उनका निधन हो गया।

राणा सांगा की वीरता और बलिदान ने आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित किया। उन्हीं की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए महाराणा प्रताप जैसे योद्धा खड़े हुए, जो मुगलों के खिलाफ लड़े और अपनी मातृभूमि की रक्षा की।