Up Kiran, Digital Desk: क्या आपने कभी सोचा है कि जब देश भर के बड़े-बड़े वैज्ञानिक एक साथ आकर मिलते हैं, तो ज्ञान का कैसा आदान-प्रदान होता है? आंध्र प्रदेश के तिरुपति शहर ने आज विज्ञान के क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है! आईआईएसईआर तिरुपति (भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, तिरुपति) ने "रत्नागिरी से राजगढ़" तक अपनी 91वीं वार्षिक बैठक की सफलतापूर्वक मेजबानी की है. यह कोई साधारण बैठक नहीं थी, बल्कि विज्ञान और अनुसंधान के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण मंच था, जहाँ देश भर के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक, शोधकर्ता और शिक्षाविद एक साथ आए.
क्या थी इस वार्षिक बैठक की खासियत?
आईआईएसईआर तिरुपति द्वारा आयोजित यह 91वीं वार्षिक बैठक न केवल एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह दर्शाता है कि संस्थान अकादमिक और शोध के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है.
- वैज्ञानिकों का संगम: इस बैठक में भारत के विभिन्न हिस्सों से शीर्ष वैज्ञानिक और शिक्षाविद शामिल हुए. ऐसे मेलजोल से नए विचारों का आदान-प्रदान होता है और नए शोध कार्यों को प्रेरणा मिलती है.
- शोध और नवाचार: बैठक का उद्देश्य विभिन्न वैज्ञानिक क्षेत्रों में चल रहे शोधों पर चर्चा करना और नवाचारों को बढ़ावा देना था. यहाँ कई नए शोध पत्रों और विचारों को प्रस्तुत किया गया, जो विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में प्रगति का मार्ग प्रशस्त करेंगे.
- युवा शोधकर्ताओं को प्रोत्साहन: ऐसी बैठकों से युवा छात्रों और शोधकर्ताओं को बड़े वैज्ञानिकों से सीखने और अपने काम को प्रदर्शित करने का मौका मिलता है, जिससे उन्हें अपने करियर में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है.
- तिरुपति को मिला वैश्विक मंच: इस तरह की प्रतिष्ठित बैठक की मेजबानी करके, आईआईएसईआर तिरुपति ने न केवल अपनी अकादमिक पहचान को मज़बूत किया है, बल्कि तिरुपति शहर को भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है.
यह आयोजन आंध्र प्रदेश के लिए भी एक गर्व का क्षण है, क्योंकि यह दर्शाता है कि राज्य न केवल धार्मिक और पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अब शिक्षा और वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में भी तेज़ी से आगे बढ़ रहा है. आईआईएसईआर तिरुपति ने अपनी क्षमताओं को साबित करते हुए सफलतापूर्वक एक विशाल और महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया है.
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