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Up Kiran, Digital Desk: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) ने दिल्ली-पानीपत क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) परियोजना के दूसरे चरण के निर्माण-पूर्व काम शुरू कर दिया है। यह योजना यात्रा के समय को घटाकर केवल एक घंटे तक सीमित करने के उद्देश्य से बनाई गई है।
दिल्ली-पानीपत आरआरटीएस कॉरिडोर लगभग 136 किलोमीटर लंबा होगा। यह नरेला, सोनीपत, गनौर और समालखा जैसे महत्वपूर्ण शहरों को जोड़ता है। इस प्रोजेक्ट से अनुमानित रूप से एक लाख यात्रियों को आरामदायक, सुरक्षित और तेज़ यात्रा सुविधा मिलेगी।
इस परियोजना का एक बड़ा फायदा यह भी होगा कि दिल्ली-अंबाला राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-44) पर यातायात की भीड़ में कमी आएगी। कुल मिलाकर यह योजना क्षेत्रीय यातायात को बेहतर बनाएगी।
आरआरटीएस कॉरिडोर में कुल 17 स्टेशन होंगे। शुरुआती स्टेशन सराय काले खां होगा जो दिल्ली-मेरठ और दिल्ली-अलवर कॉरिडोर के लिए नोडल हब की तरह काम करेगा। यहां दिल्ली मेट्रो, हजरत निजामुद्दीन ट्रांसपोर्ट इंटरचेंज और अंतर-राज्यीय बस टर्मिनल के साथ कनेक्टिविटी मिलेगी।
यात्रियों को इस हब से ट्रेन, मेट्रो और बस सेवाएं एक साथ मिलेंगी। ये ट्रेनें 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगी। इस वजह से दिल्ली और पानीपत के बीच का सफर अब सिर्फ एक घंटे में पूरा हो सकेगा।
एनसीआरटीसी ने निर्माण-पूर्व कार्य के तहत बिजली तारों, लो-टेंशन केबलों और ट्रांसफार्मरों को दूसरी जगह स्थानांतरित करना शुरू किया है। फिलहाल यह काम नरेला से मुरथल तक 22 किलोमीटर की दूरी में चल रहा है। इस चरण को पूरा होने में लगभग एक साल लग सकता है।
हालांकि, परियोजना की अंतिम वित्तीय मंजूरी दिल्ली और हरियाणा सरकारों से अभी बाकी है। फिर भी निर्माण-पूर्व कार्य शुरू होने से परियोजना में तेजी आएगी।
दिल्ली-पानीपत आरआरटीएस परियोजना दोनों शहरों के बीच आवागमन को नई दिशा देगी। यह तेज, सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा विकल्प के साथ क्षेत्र के आर्थिक विकास को भी आगे बढ़ाएगी।