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गोवा के उत्तरी जिले के पोंडा कस्बे से शुक्रवार की सुबह एक बेहद दुखद और विचलित कर देने वाली खबर सामने आई। दुर्गाभट्ट वार्ड में एक डेढ़ साल की मासूम बच्ची अनाबिया शेख पर आवारा कुत्तों के झुंड ने हमला कर दिया, जिससे उसकी मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। यह घटना उस वक्त हुई जब अनाबिया अपने किसी रिश्तेदार के घर के बाहर खेल रही थी।

कुत्तों के हमले से नहीं बच सकी मासूम जान

पुलिस के अनुसार, चार से पांच कुत्तों ने अचानक बच्ची पर हमला कर दिया और उसे बुरी तरह नोच डाला। यह हमला इतना भीषण था कि बच्ची को गंभीर चोटें आईं। तुरंत उसे नजदीकी सरकारी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। बच्ची की मौत ने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया है।

स्थानीय लोगों में गुस्सा और शोक का माहौल

इस भयावह घटना की खबर फैलते ही स्थानीय लोग गुस्से और गम में डूब गए। हर कोई इस मासूम की असमय मौत से स्तब्ध है। पोंडा नगर परिषद के अध्यक्ष आनंद नाइक ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि प्रशासन आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। उन्होंने बताया कि एक पशु आश्रय गृह स्थापित करने का प्रस्ताव पहले ही रखा जा चुका है, लेकिन इसे जल्द लागू करने की आवश्यकता है। साथ ही पुलिस ने भी इस मामले की जांच शुरू कर दी है।

स्थायी समाधान की उठी मांग

स्थानीय लोगों ने इस घटना के बाद प्रशासन से सख्त कदम उठाने और आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या पर नियंत्रण के लिए स्थायी समाधान की मांग की है। कई लोगों ने यह भी कहा कि जब तक इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया जाएगा, तब तक ऐसे हादसे दोहराए जाते रहेंगे।

अन्य राज्यों में भी बढ़ रहे हैं कुत्तों के हमले

ऐसे हमले केवल गोवा तक सीमित नहीं हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में भी इसी तरह की एक घटना सामने आई थी। वहां कुत्तों के हमलों में एक बच्ची की मौत हो गई थी, जबकि 14 अन्य लोग घायल हुए थे। उस वक्त भी स्थानीय प्रशासन को अलर्ट जारी करना पड़ा था और ग्रामीणों को सलाह दी गई थी कि वे शाम को डंडे लेकर घर से बाहर निकलें।

बहराइच में जिला प्रशासन को करनी पड़ी कड़ी कार्रवाई

बहराइच में कुत्तों के हमले इतने गंभीर हो गए थे कि जिलाधिकारी मोनिका रानी ने विशेष परामर्श जारी किया। इसमें अभिभावकों से आग्रह किया गया था कि वे छोटे बच्चों को अकेले बाहर न भेजें और हमेशा सतर्क रहें। यह घटनाएं एक गंभीर सामाजिक समस्या की ओर इशारा करती हैं, जिसका जल्द से जल्द हल निकालना जरूरी हो गया है।

समस्या की जड़ तक पहुंचने की जरूरत

आवारा कुत्तों की समस्या अब किसी एक राज्य या शहर तक सीमित नहीं रही। देशभर में हर महीने इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिनमें बच्चों और बुजुर्गों पर हमले हो रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इसका कारण शहरीकरण, कचरे का उचित प्रबंधन न होना और पालतू कुत्तों को सड़कों पर छोड़ देना भी हो सकता है।

जब तक स्थानीय निकाय, नगर पालिकाएं और प्रशासनिक तंत्र मिलकर इस समस्या पर सुनियोजित तरीके से काम नहीं करेंगे, तब तक ऐसी घटनाएं रुकने की उम्मीद करना मुश्किल है। समाज को भी इस दिशा में अपनी भूमिका निभानी होगी।