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4 जून को चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर RCB की विजेता रैली के दौरान हुई भीषण भगदड़ में 11 लोगों की जान चली गई और 56 घायल हुए  । यह हादसा उस समय हुआ जब RCB की जीत तथा ट्रॉफी सम्मान समारोह के लिए फैंस सड़कों पर उमड़ पड़े।

ट्रिब्यूनल का फटकार

न्यायिक आयोग ने स्पष्ट कहा है कि पुलिस जादूगर नहीं है और उसे चमत्कार की उम्मीद नहीं रखी जा सकती। भीड़ नियंत्रण पूरी तरह से पुलिस पर नहीं छोड़ा जा सकता; यह आयोजकों की जिम्मेदारी है। RCB ने सोशल मीडिया पर विजेता रैली की जानकारी साझा की, जिसके बाद बड़ी संख्या में लोग जुट गए  ।

जिम्मेदार कौन?

RCB और KSCA ने बिना अनुमति और भीड़ प्रबंधन योजना के कार्यक्रम की घोषणा की – ट्रिब्यूनल ने इसे बड़ी भूल कहा  ।

इवेंट मैनेजर DNA की लापरवाही को FIR में शामिल किया गया है  ।

पुलिस और प्रशासन: सीएम सिद्धारमैया ने पुलिस कप्तान सहित कई अफसरों को निलंबित किया और जांच कमिश्नर नियुक्त किया  ।


अभी तक क्या हुआ?

RCB के मार्केटिंग हेड तथा DNA कंपनी के तीन अधिकारी गिरफ्तार किए गए  ।

FIR में गैर-इरादतन हत्या, क्रिमिनल नेगलिजेंस और सार्वजनिक उपद्रव की धाराएं लगाई गईं  ।

कर्नाटक हाई कोर्ट ने दोनों पक्ष—सरकार और RCB—को जवाबदेह ठहराया और सभी को कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए  ।


क्या सीख मिलती है?

1. बड़े आयोजन में स्वीकृति और योजना पहले से तय होनी चाहिए—इसमें मार्ग नियंत्रण, सीट आवंटन, निकासी योजना और सुरक्षा बल शामिल हैं।


2. सोशल मीडिया पर जानकारी फैलाना चाहिए सावधानी से—RCB के पोस्ट ने फैंस को ग़लत संकेत दिए  ।


3. पुलिस ईश्वर नहीं—TRIBUNAL ने स्पष्ट कहा कि आयोजकों को भीड़ नियंत्रण का वास्तविक काम करना होगा।

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