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Up Kiran, Digital Desk: जिंदगी में कई बार ऐसे मोड़ आते हैं, जब सब कुछ धुंधला और भारी लगता है. मन उदास होता है, भविष्य की चिंता सताती है और ऐसा महसूस होता है जैसे हम किसी अंधेरी सुरंग में फंस गए हैं. इस emotional darkness से बाहर निकलने के लिए हम कई रास्ते खोजते हैं, लेकिन अक्सर जवाब हमारे भीतर ही छिपा होता है. और उस जवाब तक पहुंचने का एक बेहद खूबसूरत रास्ता है- योग.

योग सिर्फ शरीर का व्यायाम नहीं है

अक्सर जब हम योग के बारे में सोचते हैं, तो हमारे दिमाग में शरीर को मुश्किल तरीकों से मोड़ने वाले आसनों की तस्वीर आती है. लेकिन योग इससे कहीं ज़्यादा गहरा और सुंदर है. योग सिर्फ शरीर को नहीं, बल्कि हमारे मन और आत्मा को भी छूता है. यह शरीर, सांस और मन के बीच एक पुल बनाता है.

कैसे काम करता है योग?सांसों का जादू (प्राणायाम): जब भी हम तनाव या चिंता में होते हैं, तो हमारी सांसें छोटी और तेज हो जाती हैं. योग हमें गहरी और धीमी सांस लेना सिखाता है. जैसे ही हम अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, हमारा बेचैन मन शांत होने लगता है. यह हमारे नर्वस सिस्टम को आराम देता है और 'फाइट-या-फ्लाइट' मोड से बाहर निकालता है.

आसन जो भावनाओं को बाहर निकालते हैं: हमारे शरीर में, खासकर मांसपेशियों में, हमारी भावनाएं और तनाव इकट्ठा होते रहते हैं. जब हम योग के आसन करते हैं और शरीर में खिंचाव महसूस करते हैं, तो यह जमा हुआ तनाव और दबी हुई भावनाएं बाहर निकलने लगती हैं. इसके बाद आप हल्का और आजाद महसूस करते हैं.

ध्यान जो मन को साफ करता है: योग का एक अहम हिस्सा है ध्यान (meditation). यह हमें अपने विचारों को बिना जज किए बस देखना सिखाता है. इससे हमें यह समझने में मदद मिलती है कि हम अपने विचार नहीं हैं. यह अभ्यास धीरे-धीरे हमें नकारात्मक सोच के जाल से बाहर निकालता है और मन में स्पष्टता लाता है.

योग कोई जादू की छड़ी नहीं है जो एक दिन में सब ठीक कर दे. यह एक सफर है, खुद से दोबारा जुड़ने का, अपने मन को समझने का और धीरे-धीरे अंधेरे से उजाले की ओर कदम बढ़ाने का. तो अगली बार जब मन भारी लगे, तो बस अपनी चटाई बिछाएं और कुछ गहरी सांसें लें. शायद यहीं से आपके emotional renewal की शुरुआत हो.