
World News: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों ने दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को खतरे में डाल दिया है। भारत में ऑटो, आईटी और फार्मा क्षेत्र टैरिफ से प्रभावित हुए हैं। टाटा जैसी कंपनियों ने जगुआर लैंड रोवर ब्रांड की लक्जरी कारों का संयुक्त राज्य अमेरिका को निर्यात बंद कर दिया है। इसका देश में नौकरियों पर भी असर पड़ेगा। अमेरिका भी इससे अछूता नहीं है। अमेरिका में ट्रंप के फैसले का असर अब बड़ी कंपनियों के कर्मचारियों पर पड़ेगा।
एक रिपोर्ट के अनुसार, डेलोइट सहित कई बड़ी कंपनियों के कर्मचारियों को छंटनी का सामना करना पड़ रहा है। डेलोइट एकमात्र ऐसी कंपनी नहीं है जहां कर्मचारियों की संख्या में कटौती होगी। बूज़ एलन हैमिल्टन, एक्सेंचर फेडरल सर्विसेज और आईबीएम जैसी बड़ी कंपनियों के साथ दर्जनों अनुबंध भी समाप्त हो चुके हैं।
सरकारी खर्च में कटौती
ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से उनके निर्णयों का संयुक्त राज्य अमेरिका सहित दुनिया भर के देशों पर प्रभाव पड़ रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाली सरकार ने सरकारी खर्च को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। इसकी जिम्मेदारी टेस्ला और एक्स के सीईओ एलन मस्क के कंधों पर डाली गई है। मस्क सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) के प्रमुख हैं। उनके नेतृत्व में कई बड़ी परामर्शदाता फर्मों के सरकारी अनुबंध या तो रद्द कर दिए गए या उनमें कमी कर दी गई। इस निर्णय से डेलोइट, एक्सेंचर और आईबीएम जैसी कंपनियों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। इसलिए अब इन कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों की नौकरियां जाने का खतरा मंडरा रहा है।
खत्म होंगी 2.8 लाख सरकारी नौकरियां
इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन के पहले तीन महीनों में लगभग 2.8 लाख सरकारी नौकरियां समाप्त कर दी गई हैं। यह सब सरकारी प्रणालियों को अधिक कुशल और कम खर्चीला बनाने के अभियान का हिस्सा है। इस कार्रवाई से जहां एक ओर सरकारी खर्च में कमी आ रही है, वहीं दूसरी ओर इन बड़ी कंपनियों में काम करने वाले हजारों कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में पड़ गई हैं।