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Up Kiran, Digital Desk: डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को गैर-आप्रवासी कामगारों के प्रवेश पर नए प्रतिबंधों पर हस्ताक्षर किए। अब H-1B वीज़ा पर भारी शुल्क लगाया गया है, जो करीब 1,00,000 अमेरिकी डॉलर है। यह बदलाव भारतीय इंजीनियरों, आईटी पेशेवरों और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बड़ा झटका साबित हो रहा है। H-1B वीज़ा भारतीयों के लिए अमेरिका में काम करने का सबसे बड़ा अवसर रहा है, लेकिन ट्रंप प्रशासन के नए नियमों ने इसे कठिन बना दिया है।

हालांकि, एक दरवाज़ा बंद हुआ है, तो दूसरा खुला है। इस लेख में हम भारतीय पेशेवरों के लिए तीन ऐसे खाड़ी देशों की बात करेंगे जो करियर और वेतन के लिहाज से अमेरिका से भी बेहतर विकल्प साबित हो सकते हैं। ये देश हैं: यूएई, कतर और सऊदी अरब।

यूएई (संयुक्त अरब अमीरात)
दुबई और अबू धाबी जैसे शहर व्यवसाय और वित्तीय तकनीक के प्रमुख केंद्र हैं। यूएई गोल्डन वीज़ा कुशल पेशेवरों, निवेशकों और उद्यमियों को 10 साल तक रहने की अनुमति देता है। यहां डिजिटल नोमैड वीज़ा भी उपलब्ध है, जिससे वैश्विक नियोक्ता के लिए काम करते हुए यूएई में रहना आसान है। यहाँ व्यक्तिगत आयकर शून्य है और नीतिगत माहौल व्यवसाय के लिए अनुकूल है।

कतर
कतर का आधुनिक शहर दोहा तेजी से विकसित हो रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और खेल के क्षेत्रों में निवेश के कारण कतर कई भारतीय पेशेवरों को आकर्षित करता है। यहाँ औसत वेतन लगभग 4.1 लाख रुपये है। कतर में नौकरी पाने वाले भारतीयों को बेहतर जीवनशैली और सुरक्षित वातावरण मिलता है।

सऊदी अरब
सऊदी अरब का विज़न 2030 सुधार प्रवासियों के लिए नए अवसर लेकर आया है। औसत वेतन 16,000 सऊदी रियाल (करीब 3.5 लाख रुपये) है। यहां 2020 से 2025 तक लाखों भारतीयों को रोजगार मिला है। सऊदी अरब अब उच्च कुशल पेशेवरों को दीर्घकालिक वीज़ा भी देता है।

खाड़ी देशों में भारतीयों के लिए क्यों बेहतर विकल्प?
खाड़ी देशों में प्रवासी भारतीयों की संख्या ज्यादा है, जिससे उन्हें घर जैसा माहौल मिलता है। यहां जीवन यापन की लागत थोड़ी अधिक हो सकती है, लेकिन सुरक्षा, आधुनिक बुनियादी ढाँचा और सुविधाएं उच्च स्तर की हैं। अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों की तुलना में ये देश उड़ान की दूरी पर हैं और वीज़ा प्रक्रिया तेज़ और आसान है। सबसे बड़ी बात, यहां वेतन पर कोई आयकर नहीं लगता, जिससे आपकी शुद्ध आमदनी ज्यादा होती है।