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Up Kiran, Digital Desk: जब दुनिया नई दवाओं के साथ एड्स के खिलाफ लड़ाई में जीत की कगार पर थी तब अमेरिका के एक अचानक फैसले ने सभी उम्मीदों को करारा झटका दिया है। डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका ने एचआईवी कार्यक्रमों के लिए अंतरराष्ट्रीय सहायता रोक दी है।

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूएनएड्स ने इस बारे में गंभीर चेतावनी दी है। अगर अमेरिका द्वारा रोकी गई धनराशि की भरपाई नहीं की गई तो 2029 तक यानी अगले 4 सालों में 40 लाख लोगों की मौत हो सकती है और संक्रमण के 60 लाख से ज़्यादा नए मामले सामने आ सकते हैं। एचआईवी-एड्स के खिलाफ लड़ाई में यह अमेरिकी कार्यक्रम बेहद अहम था।

20 साल की एक योजना जो अचानक धराशायी हो गई!

2003 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने PEPFAR (एड्स राहत के लिए राष्ट्रपति की आपातकालीन योजना) कार्यक्रम शुरू किया था। यह एचआईवी के खिलाफ दुनिया का सबसे बड़ा विदेशी सहायता कार्यक्रम था। इस कार्यक्रम के तहत अब तक 8 करोड़ से ज़्यादा लोगों की जाँच की जा चुकी है और 2 करोड़ से ज़्यादा लोगों को मुफ़्त इलाज दिया जा चुका है। अकेले नाइजीरिया में एचआईवी दवाओं के बजट का 99.9% हिस्सा PEPFAR द्वारा वहन किया जाता था।

लेकिन जनवरी 2025 में अमेरिका ने अचानक इस विदेशी सहायता को रोक दिया। इसके कारण कई क्लीनिक बंद हो गए दवाओं की आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो गई और हज़ारों कर्मचारियों की नौकरियाँ चली गईं।

 

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