
india us tariff dispute: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीति ने भारत के लिए आर्थिक चुनौतियों का नया पिटारा खोल दिया है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, इस नीति से भारत के निर्यात-आधारित सेक्टरों को $7.6 अरब का नुकसान हो सकता है। नौ अप्रैल से भारतीय उत्पादों पर 26% तक अतिरिक्त टैरिफ लागू होने के साथ ही देश की आर्थिक वृद्धि और लाखों नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। क्या ये नीति भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में दरार की शुरुआत है या फिर कूटनीति से कोई रास्ता निकलेगा?
निर्यात में भारी गिरावट की आशंका
2024 में भारत ने अमेरिका को $89.81 अरब का सामान निर्यात किया था, जो उसकी अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा है। मगर ट्रंप की टैरिफ नीति के लागू होने से 2025 तक अमेरिकी बाजार में भारत के निर्यात में 6.41% की कमी होने का अनुमान है। खास तौर पर मछली, लौह एवं स्टील, ज्वेलरी और डायमंड जैसे हाई-इनकम सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे, जहां 15-20% तक की गिरावट संभावित है। इसके अलावा ऑटो पार्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलिकॉम प्रोडक्ट्स जैसे क्षेत्रों में भी 12% तक का नुकसान हो सकता है।
GTRI की रिपोर्ट चेतावनी देती है कि यह सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है। इन सेक्टरों से जुड़े लाखों श्रमिकों की आजीविका दांव पर लगी है। एक ज्वेलरी निर्यातक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अमेरिका हमारा सबसे बड़ा बाजार है। अगर टैरिफ बढ़ा तो हमारा धंधा चौपट हो जाएगा।
रोजगार और ग्रोथ पर दोहरा झटका
टैरिफ का असर सिर्फ निर्यात तक सीमित नहीं रहेगा। भारत में छोटे और मझोले उद्यम (MSME), जो इन सेक्टरों की रीढ़ हैं, सबसे ज्यादा नुकसान में होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे रोजगार में कमी और आर्थिक सुस्ती का खतरा बढ़ेगा। दिल्ली के अर्थशास्त्री प्रोफेसर अजय मेहता कहते हैं कि भारत की ग्रोथ पिछले कुछ सालों में निर्यात पर काफी निर्भर रही है। ट्रंप की नीति इस रफ्तार को थाम सकती है।