img

Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब भी कुछ बोलते हैं, तो पूरी दुनिया में हलचल मच जाती है। हाल ही में उन्होंने एक ऐसा ही बड़ा बयान दिया है, जिसका सीधा नाता भारत से जुड़ता है। ट्रंप ने कहा है कि अगर वह अगला चुनाव जीतकर वापस सत्ता में आए, तो विदेश से आने वाली सभी दवाओं पर 100% का भारी-भरकम टैक्स (टैरिफ) लगा देंगे।

अब चूँकि भारत को 'दुनिया की फार्मेसी' कहा जाता है और हम अमेरिका को बहुत बड़ी मात्रा में दवाएं बेचते हैं, तो यह सवाल उठना लाज़मी है कि इस बयान से हमें कितना घबराने की ज़रूरत है?

क्या है विशेषज्ञों (Experts) की राय?

इस ख़बर के आते ही भारत की दवा कंपनियों और बाज़ार पर नज़र रखने वाले एक्सपर्ट्स ने इसका विश्लेषण किया। अच्छी ख़बर यह है कि ज़्यादातर एक्सपर्ट्स का मानना है कि फिलहाल, तुरंत घबराने वाली कोई बात नहीं है। इसके पीछे कुछ ठोस वजहें हैं:

यह सिर्फ़ एक चुनावी वादा है:सबसे पहली बात तो यह है कि यह अभी कोई कानून नहीं है, यह सिर्फ़ एक चुनावी भाषण का हिस्सा है। इसे हकीकत बनने के लिए ट्रंप को पहले चुनाव जीतना होगा और फिर इसे एक कानून के तौर पर पास करवाना होगा, जो एक लंबी और मुश्किल प्रक्रिया है।

कहना आसान, करना मुश्किल:अगर ट्रंप ऐसा करने की कोशिश करते भी हैं, तो यह अमेरिका के लिए अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा। ऐसा क्यों?

दवाओं की हो जाएगी भारी कमी: अमेरिका की स्वास्थ्य व्यवस्था भारत से जाने वाली सस्ती जेनेरिक दवाओं पर बहुत ज़्यादा निर्भर है। अगर इन दवाओं पर 100% टैक्स लग गया, तो वे इतनी महंगी हो जाएंगी कि आम अमेरिकी नागरिक उन्हें खरीद नहीं पाएगा।

कीमतें आसमान छूने लगेंगी: इससे अमेरिका में दवाओं की कीमतें रातों-रात दोगुनी हो जाएंगी और वहां की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा सकती है।

अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन: ऐसा कदम विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के खिलाफ भी हो सकता है, जिससे अमेरिका को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

तो क्या इसे पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर दें?

नहीं। एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि भले ही यह तुरंत लागू होना मुश्किल है, लेकिन यह बयान उस सोच को दिखाता है, जहाँ अमेरिका अपने देश में ही उत्पादन को बढ़ावा देना चाहता है। अगर भविष्य में ऐसा कोई कदम उठाया जाता है, तो यह भारतीय दवा उद्योग के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती होगी।

फिलहाल ट्रंप का यह बयान एक 'चुनावी बयानबाज़ी' ज़्यादा लग रहा है, न कि एक सोची-समझी नीति। भारतीय दवा कंपनियां इस पर नज़र बनाए हुए हैं, लेकिन अभी के लिए चिंता की कोई बड़ी वजह नहीं है।