Up Kiran,Digitl Desk: गुरुवार को भारत ने स्पष्ट कर दिया कि उसकी तेल आयात नीति सिर्फ और सिर्फ भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए बनाई गई है। यह जवाब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया था कि भारत रूसी तेल खरीदना बंद कर देगा।
भारत ने क्या कहा: विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, रणधीर जायसवाल, ने सीधे तौर पर यह पुष्टि नहीं की कि मोदी और ट्रंप के बीच ऐसी कोई बातचीत हुई थी या नहीं। उन्होंने बड़ी ही समझदारी से ट्रंप के दावे पर सीधी टिप्पणी करने से बचते हुए भारत का पक्ष रखा। जायसवाल ने कहा, "भारत ने हमेशा स्थिर ऊर्जा कीमतों और सुरक्षित आपूर्ति को प्राथमिकता दी है, और बाजार की स्थितियों के हिसाब से अपने स्रोत बदले हैं।"
उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की यह नीति 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से ही लागू है। इसका सीधा मतलब है कि भारत किसी के दबाव में आकर नहीं, बल्कि अपने देश के लोगों के फायदे को देखकर फैसले लेता है।
अमेरिका के साथ भी बढ़ रहा सहयोग: प्रवक्ता ने यह भी बताया कि पिछले एक दशक में अमेरिका के साथ ऊर्जा सहयोग लगातार बढ़ा है और मौजूदा प्रशासन के तहत भी बातचीत जारी है। भारतीय अधिकारियों ने यह भी संकेत दिया है कि देश अमेरिका से कच्चे तेल का आयात बढ़ाने को तैयार है। आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में अमेरिका से भारत में आयात 11% बढ़ा है, जबकि भारत से निर्यात 12% घटा है।
यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है और कुछ महीने पहले ही अमेरिका ने भारतीय तेल आयात पर 25% का टैरिफ लगाया था।
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