Up Kiran, Digital Desk: एक तरफ भारत पर रूस से तेल खरीदने को लेकर अमेरिकी दबाव और टैरिफ की धमकियां, तो दूसरी तरफ रिश्तों को संभालने की कोशिश। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी सहयोगी और उनके भावी ट्रेजरी सचिव माने जा रहे स्कॉट बेसेंट (Scott Bessent) ने भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पर एक बड़ा सकारात्मक बयान दिया है। हालांकि, इसी सांस में उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन को "दिखावटी" कहकर खारिज कर दिया।
ट्रेड विवाद पर क्या बोले बेसेंट?
भारत और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापारिक तनाव, जिसे ट्रंप प्रशासन ने भारत पर भारी टैरिफ लगाकर और भी बढ़ा दिया है, पर बात करते हुए बेसेंट ने उम्मीद भरा रुख दिखाया। उन्होंने कहा, "दो महान देश इस मुद्दे को सुलझा लेंगे।
उनका यह बयान इस बात का संकेत है कि अगर ट्रंप सत्ता में वापस आते हैं तो वह भारत के साथ व्यापारिक लड़ाई को आगे बढ़ाने की बजाय बातचीत के जरिए हल निकालने को प्राथमिकता दे सकते हैं।
यह टिप्पणी भारत के लिए काफी अहम है, क्योंकि ट्रंप प्रशासन ने रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने की बात कही थी।
SCO समिट को बताया 'सिर्फ बातचीत की दुकान'
हालांकि, जब उनसे हाल ही में हुए SCO शिखर सम्मेलन के बारे में पूछा गया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक साथ थे, तो बेसेंट के सुर बदल गए।
उन्होंने SCO समिट को "परफॉर्मेटिव" (performative) यानी "दिखावा" और "टॉकिंग शॉप" (talking shop) यानी "सिर्फ बातचीत की दुकान" कहकर उसके महत्व को कम करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि ऐसे सम्मेलनों से कोई ठोस नतीजा नहीं निकलता और ये सिर्फ दिखावे के लिए होते हैं।
बेसेंट का यह बयान ट्रंप खेमे की उस सोच को दर्शाता है जो SCO जैसे गुटों को अमेरिकी प्रभाव के खिलाफ एक चुनौती के रूप में देखता है। एक तरफ व्यापार पर सुलह का संकेत और दूसरी तरफ भारत की भागीदारी वाले SCO पर तंज कसना, यह दिखाता है कि अगर ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं तो भारत के साथ अमेरिका के रिश्ते काफी उतार-चढ़ाव भरे और जटिल हो सकते हैं।
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