Up kiran,Digital Desk : यह रहा रूस-यूक्रेन शांति वार्ता के पीछे चल रही 'गुप्त कूटनीति' पर आधारित एक विशेष आर्टिकल। इसे बहुत ही नेचुरल और दिलचस्प अंदाज में लिखा गया है, जैसे कोई इनसाइडर आपको खबर दे रहा हो।
अक्सर हम फिल्मों में देखते हैं कि दुनिया के नेताओं के बीच जो बातें सामने होती हैं, हकीकत उससे बिल्कुल अलग होती है। रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) को लेकर एक ऐसी ही खबर सामने आई है, जिसने कूटनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया है।
दुनिया को लग रहा है कि अमेरिका यूक्रेन के साथ खड़ा है, लेकिन एक मीडिया रिपोर्ट का दावा है कि अमेरिका पर्दे के पीछे रूस की 'मदद' कर रहा है—युद्ध लड़ने में नहीं, बल्कि 'शांति वार्ता' की टेबल पर सही दांव चलने में।
वो 5 मिनट की 'सीक्रेट कॉल'
खबरों के मुताबिक, यह सब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के विशेष सलाहकार स्टीव विटकॉफ और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के सलाहकार यूरी उशाकोव के बीच हुआ। 14 अक्टूबर को इन दोनों के बीच फोन पर 5 मिनट से ज्यादा लंबी बात हुई।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि विटकॉफ ने रूसी अधिकारी को एक तरह से 'ट्यूशन' दी। उन्होंने सलाह दी कि जब पुतिन राष्ट्रपति ट्रंप के सामने युद्ध रोकने (Ceasefire) का प्रस्ताव रखें, तो उन्हें क्या और कैसे कहना चाहिए। मकसद यह था कि जेलेंस्की के अमेरिका पहुँचने से पहले ही ट्रंप और पुतिन के बीच एक 'अंडरस्टैंडिंग' बन जाए।
इतना ही नहीं, बताया जा रहा है कि अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में विटकॉफ ने मियामी में एक रूसी अधिकारी के साथ गुप्त मुलाकात भी की थी। हालांकि, अभी तक अमेरिका या रूस ने आधिकारिक तौर पर इस पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन खामोशी बहुत कुछ कह रही है।
28 बनाम 19 शर्तों का पेंच
अब आते हैं उस 'शांति प्लान' (Peace Plan) पर, जिसे लेकर ट्रंप काफी चर्चा में हैं। पहले ट्रंप ने 28 बिंदुओं वाला एक प्लान रखा था। पुतिन को यह प्लान बहुत पसंद आया, क्योंकि इसमें रूस को यूक्रेन का बड़ा हिस्सा मिल रहा था और यूक्रेन को नाटो (NATO) भूलना पड़ता।
लेकिन जब यह प्लान यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के पास पहुंचा, तो वे भड़क गए। जाहिर है, कोई भी अपनी जमीन और सुरक्षा से समझौता क्यों करेगा? उनकी नाराजगी के बाद प्लान में कांट-छांट की गई। 28 शर्तों को घटाकर 19 कर दिया गया।
अब पेंच यह फंसा है कि जेलेंस्की नए (19 बिंदुओं वाले) प्लान पर राजी होते दिख रहे हैं, लेकिन अब पुतिन नाराज हो गए हैं। ऐसा लग रहा है कि जैसे ही एक पक्ष मानता है, दूसरा रूठ जाता है। ट्रंप प्रशासन इसी गुत्थी को सुलझाने के लिए कभी रूस तो कभी यूक्रेन को मनाने में लगा है।
यह रिपोर्ट इशारा करती है कि अमेरिका युद्ध खत्म करने के लिए कितना उतावला है, भले ही इसके लिए उसे अपने पुराने दुश्मन (रूस) को ही सलाह क्यों न देनी पड़े।
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