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लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती - 2023 पेपर लीक मामले में अन्तत: पुलिस भर्ती बोर्ड की चेयरमैन रेणुका मिश्रा को हटाकर प्रतीक्षरत कर दिया गया है। उनके स्थान पर डीजी विजिलेंस राजीव कृष्ण को अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई है। लेकिन सवाल यह है कि क्या रेणुका मिश्रा को हटाकर और राजीव कृष्ण को जिम्मेदारी देकर सरकार ने भर्ती तन्त्र को दुरूस्त कर लिया है? पुलिस भर्ती में अब कोई गड़बड़ी नहीं होगी?

ध्यातव्य है कि 60 हज़ार से ज़्यादा सिपाही भर्ती में 48 लाख से ज़्यादा अभ्यर्थी शामिल हुए थे। पेपर लीक के बाद परीक्षा रद्द कर दी गई और अगले 6 महीने में फिर से लिखित परीक्षा का आयोजन किया जाना है। सरकार के इस निर्णय से ईमानदारी से परीक्षा देने वाले युवाओं को सुकून जरूर मिला है, लेकिन इस बात की क्या गारण्टी है कि अगली परीक्षा साफ - सुथरी हो सकेगी और पेपर लीक जैसी घटना नहीं होगी? हालांकि परीक्षा रद्द किये जाने से सदमे में आये अब तक दो ने अपनी जान दे दी है।

सरकार को याद होना चाहिये कि इससे पूर्व जब पुलिस की भर्ती हुई थी तो कहीं कोई गड़बड़ी नहीं हुई और पूरी भर्ती प्र​क्रिया पारदर्शी रही। तत्कालीन पुलिस भर्ती बोर्ड के चेयरमैन/डीजी डॉ. राजकुमार विश्वकर्मा (सेनि0) और एडीजी डॉ. रामकृष्ण स्वर्णकार के कार्यकाल में हजारों युवक/युवतियों को पुलिस में भर्ती होने का मौका मिला। उस समय भर्ती में चयन होने तक कोई गड़बड़ी नहीं हुई।

डीजी राजकुमार विश्वकर्मा ने न्यायालय से लेकर विभागीय मामलों तक अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुये भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया। पुलिस भर्ती - 2023 के कई अभ्यर्थी कहते हैं कि काश! आज भी डॉ. राजकुमार विश्वकर्मा और डॉ0 रामकृष्ण स्वर्णकार जैसे ईमानदार और तेज तर्रार आईपीएस अधिकारी बोर्ड में जिम्मेदार पद पर होते तो योग्य युवाओं को बिना किसी धांधली के पुलिस में भर्ती ​होकर सेवा करने का मौका मिलता।

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