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Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका और रूस के बीच बढ़ते तनाव के बीच उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने एक अहम बयान देकर दुनिया का ध्यान खींचा है। वेंस ने साफ किया है कि अमेरिका यूक्रेन की लंबी दूरी की टॉमहॉक क्रूज मिसाइलों की मांग पर गंभीरता से विचार कर रहा है, लेकिन सीधा समर्थन देने के बजाय, अमेरिका चाहता है कि नाटो के यूरोपीय देश ये मिसाइलें खरीदें और फिर खुद यूक्रेन को सौंप दें।

इस बयान ने वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी है, क्योंकि इसका सीधा मतलब है कि अमेरिका बैकफुट पर रहते हुए भी रूस पर दबाव बनाए रखना चाहता है।

ट्रंप की मुहर से होगा सब तय, वेंस ने किया साफ

फॉक्स न्यूज को दिए गए इंटरव्यू में वेंस ने दो टूक कहा कि यूक्रेन को मिसाइल देने या न देने का आखिरी फैसला सिर्फ डोनाल्ड ट्रंप लेंगे। उन्होंने यह भी जोड़ा कि किसी भी जोखिम या रणनीतिक कदम पर ट्रंप का नजरिया ही अमेरिका की दिशा तय करेगा। ट्रंप की सोच अब अमेरिका को सीधे सैन्य मदद देने की बजाय यूरोपीय सहयोगियों पर निर्भर रहने की है।

रूस ने उठाया बड़ा सवाल – मिसाइलें चलाएगा कौन?

इस पूरे घटनाक्रम पर रूस की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। रूस ने सवाल उठाया है कि अगर यूक्रेन को टॉमहॉक मिसाइलें मिलती हैं तो आखिर उन्हें ऑपरेट कौन करेगा? क्या पश्चिमी देशों के सैनिक इस लड़ाई में सीधे शामिल होंगे? इस तरह के संदेह आने वाले दिनों में स्थिति को और तनावपूर्ण बना सकते हैं।

मॉस्को तक मार, यूरोप से लॉन्च, यूक्रेन को मिल सकती है नई ताकत

टॉमहॉक मिसाइलें अपनी मारक क्षमता के लिए जानी जाती हैं। 2500 किलोमीटर तक उड़ान भरने वाली ये मिसाइलें यूरोप से दागी जाएं तो सीधे मॉस्को के आसपास तक पहुंच सकती हैं। इनमें करीब 450 किलो वॉरहेड होता है, जिससे भारी तबाही मच सकती है।

ऐसे में यदि यूक्रेन को ये हथियार मिलते हैं, तो उसकी सैन्य ताकत में बड़ा इजाफा हो सकता है और रूस के खिलाफ उसका पलड़ा कुछ हद तक भारी हो सकता है।