_2069172658.jpg)
महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे परिवार की जुगलबंदी की अटकलें फिर से जोर पकड़ने लगी हैं। उद्धव ठाकरे के जन्मदिन पर राज ठाकरे की शुभकामनाओं ने राजनीतिक हलकों में नई चर्चा छेड़ दी है। क्या ठाकरे बंधु फिर से साथ आ सकते हैं? अगर ऐसा होता है, तो इसका असर सिर्फ शिवसेना और मनसे तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरा महाराष्ट्र सियासी रूप से हिल सकता है।
आइए 5 बिंदुओं में समझते हैं कि उद्धव और राज की यह जुगलबंदी दोनों को क्या दे सकती है:
1. मराठी वोटबैंक का एकीकरण:
उद्धव और राज के एक साथ आने से मराठी मतदाताओं का बिखरा हुआ वोट एकजुट हो सकता है, जिससे मुंबई, ठाणे और पुणे जैसे इलाकों में मजबूत पकड़ बनेगी।
2. बीजेपी को कड़ी टक्कर:
दोनों ठाकरे भाइयों का साथ आना बीजेपी के लिए चुनौती बन सकता है, खासकर शहरी और मध्यवर्गीय इलाकों में जहां मनसे की पकड़ अब भी है।
3. शिवसेना की खोई साख वापसी:
शिंदे गुट से अलग होने के बाद उद्धव की शिवसेना को मजबूत राजनीतिक साझेदार की जरूरत है, जो राज ठाकरे पूरा कर सकते हैं।
4. मनसे को नई पहचान:
राज ठाकरे को भी मुख्यधारा की राजनीति में वापसी की दरकार है, और उद्धव का साथ उन्हें फिर से प्रासंगिक बना सकता है।
5. विपक्षी गठबंधन को मजबूती:
यह जुगलबंदी महा विकास अघाड़ी (MVA) को नई जान दे सकती है और आगामी चुनावों में विपक्षी एकता को धार मिल सकती है।
हालांकि, दोनों नेताओं की पुरानी रंजिश और विचारधारात्मक फर्क अभी भी बड़ी चुनौती हैं, लेकिन राजनीति में कुछ भी नामुमकिन नहीं होता।
--Advertisement--