
Up Kiran, Digital Desk: आपको वो हाई-प्रोफाइल क्रूज ड्रग्स केस तो याद ही होगा, जिसने पूरे देश में तहलका मचा दिया था। एक तरफ थे बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान और दूसरी तरफ थे नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के उस वक्त के जांबाज अफसर समीर वानखेड़े। तब ऐसा लगा था कि यह मामला आर्यन खान के करियर और भविष्य पर एक बड़ा दाग़ है।
लेकिन जैसा कि अक्सर फिल्मों में होता है, इस कहानी में एक के बाद एक कई मोड़ आए।
पहला मोड़: जब आर्यन को मिली क्लीन चिट
लंबी कानूनी लड़ाई और कई दिनों तक जेल में रहने के बाद, आर्यन खान को इस मामले में क्लीन चिट मिल गई। अदालत ने माना कि उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं हैं। यहाँ पर ज़्यादातर लोगों को लगा कि यह कहानी ख़त्म हो गई है, लेकिन असली ड्रामा तो यहीं से शुरू हुआ।
दूसरा मोड़: जब हीरो ही बन गया विलेन?
कहानी में असली ट्विस्ट तब आया, जब जिस अधिकारी, यानी समीर वानखेड़े, ने आर्यन खान को गिरफ्तार किया था, वही अब खुद सवालों और गंभीर आरोपों के घेरे में आ गया। उन पर यह आरोप लगा कि उन्होंने आर्यन खान को छोड़ने के बदले में शाहरुख खान से कथित तौर पर रिश्वत मांगने की कोशिश की थी। CBI ने उन पर भ्रष्टाचार का मामला भी दर्ज कर लिया। यानी, जो कल तक नशे के खिलाफ लड़ने वाले हीरो थे, वे अब खुद एक जांच का सामना कर रहे थे।
अब आया तीसरा मोड़: वानखेड़े का पलटवार
लगातार अपनी छवि पर लगते आरोपों और मीडिया ट्रायल से परेशान होकर, समीर वानखेड़े ने अब पलटवार किया है। उन्होंने इस मामले से जुड़े कुछ लोगों के खिलाफ मानहानि का मुकदमा (Defamation Case) दायर कर दिया है।
क्या होता है मानहानि का मुकदमा?
सरल भाषा में, जब किसी व्यक्ति को लगता है कि कोई दूसरा व्यक्ति झूठी बातें फैलाकर समाज में उसकी इज़्ज़त, उसके नाम और उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा रहा है, तो वह अदालत में जाकर उस व्यक्ति के खिलाफ केस कर सकता है। इसी को मानहानि का मुकदमा कहते हैं। वानखेड़े का कहना है कि उन पर लगाए गए रिश्वत के आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं, और इससे उनके इतने सालों की मेहनत और ईमानदारी पर कीचड़ उछाला गया है।
तो, जो लड़ाई एक ड्रग्स केस से शुरू हुई थी, वो अब अपनी-अपनी इज़्ज़त और सच्चाई को साबित करने की एक बड़ी ड़ाई बन चुकी है। अब अदालत को यह तय करना है कि इस कहानी में आखिर कौन सच बोल रहा है और कौन गलत।