
भारत में कश्मीर से कन्याकुमारी तक रेल यात्रा का सपना अब साकार हो चुका है, और इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है चिनाब रेलवे ब्रिज। यह पुल न केवल अपनी ऊँचाई के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसे बनाने में घोड़ों और खच्चरों की अहम भूमिका रही है।
????️पुल निर्माण में घोड़ों और खच्चरों की भूमिका
चिनाब ब्रिज का निर्माण अत्यंत कठिन भूगोल में हुआ है। प्रारंभ में, साइट तक सामग्री पहुँचाने के लिए घोड़ों और खच्चरों का उपयोग किया गया। इन जानवरों की मदद से निर्माण सामग्री और उपकरणों को पहाड़ी रास्तों से पुल निर्माण स्थल तक पहुँचाया गया। समय के साथ, अस्थायी सड़कों का निर्माण किया गया, जिससे निर्माण कार्य में गति आई।
पुल की विशेषताएँ
ऊँचाई: यह पुल 359 मीटर (1,178 फीट) ऊँचा है, जो इसे दुनिया का सबसे ऊँचा रेलवे आर्च ब्रिज बनाता है।
निर्माण सामग्री: इसमें 30,000 टन स्टील का उपयोग किया गया है, जिसमें से 12,000 टन स्टील सेल की भिलाई स्टील प्लांट से आपूर्ति की गई थी।
भूकंपीय सुरक्षा: यह पुल 8.0 रिक्टर स्केल तक के भूकंप को सहन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
वंदे भारत की शुरुआत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 जून 2025 को चिनाब ब्रिज का उद्घाटन किया। इस अवसर पर, जम्मू और श्रीनगर के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस की शुरुआत की गई, जो यात्रा समय को 3 घंटे 10 मिनट तक घटित करेगी।
डॉ. माधवी लता की भूमिका
भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) की प्रोफेसर डॉ. माधवी लता ने इस परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 17 वर्षों तक पुल के निर्माण में योगदान दिया और भूगर्भीय चुनौतियों को पार करने में मदद की।
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