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Up Kiran, Digital Desk: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बार फिर भारतीय भाषाओं के महत्व पर जोर देते हुए एक बड़ा और विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि जल्द ही भारत में ऐसे दिन आएंगे जब अंग्रेजी बोलने वाले लोग शर्मिंदा महसूस करेंगे। उनका यह बयान भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने और अंग्रेजी के वर्चस्व को चुनौती देने के केंद्र सरकार के प्रयासों की ओर इशारा करता है।

क्या कहा अमित शाह ने?

अमित शाह ने अपने बयान में कहा कि आजादी के बाद देश में एक ऐसी मानसिकता पनप गई थी कि अंग्रेजी बोलना बुद्धिमान होने और शिक्षित होने का प्रतीक माना जाता था। उन्होंने कहा, "लेकिन मैं आपको बताता हूं, अगले 5 से 10 सालों में, ऐसे दिन आएंगे जब भारत में अंग्रेजी बोलने वाले लोग शर्मिंदा महसूस करेंगे।"

उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें अपनी भाषाओं को सम्मान देना चाहिए। उनका मानना है कि अपनी मातृभाषा और अन्य भारतीय भाषाओं में बात करना, उनमें शिक्षा प्राप्त करना और उनमें व्यवहार करना गौरव की बात होनी चाहिए, न कि अंग्रेजी पर निर्भर रहना।

आत्मनिर्भर भारत और भाषाई गौरव

शाह का यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' के विजन से भी मेल खाता है, जिसमें न केवल आर्थिक बल्कि सांस्कृतिक और भाषाई आत्मनिर्भरता पर भी जोर दिया गया है। केंद्र सरकार लंबे समय से नई शिक्षा नीति (NEP) के तहत भी प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में देने और उच्च शिक्षा में भी भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने की वकालत करती रही है।

शाह का यह बयान उन लोगों के लिए एक चुनौती है जो मानते हैं कि अंग्रेजी ही प्रगति और आधुनिकता की कुंजी है। उनका तर्क है कि अपनी जड़ों और भाषाओं से जुड़कर ही भारत वैश्विक मंच पर अपनी सच्ची पहचान बना सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि उनके इस बयान का समाज और खासकर शिक्षा व रोजगार के क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ता है।

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