Up Kiran, Digital Desk: चेन्नई में यूट्यूबर 'सावुक्कू' शंकर की गिरफ्तारी ने सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। शंकर को फिल्म निर्माता आयशा सादिक द्वारा दर्ज कराए गए मारपीट और जबरन वसूली के आरोपों में गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने उनके घर से उन्हें गिरफ्तार किया, जबकि शंकर और उनकी टीम के पांच अन्य सदस्य भी गिरफ्तारी के शिकार हुए।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में शंकर का घर पुलिस द्वारा घेरते हुए दिखाई दे रहा है, जबकि शंकर ने दरवाजा खोलने से इनकार कर दिया। पुलिस का कहना है कि वे गिरफ्तारी के सभी कानूनी दस्तावेज और वारंट दिखाने के लिए तैयार थे, लेकिन शंकर ने इसके बावजूद सहयोग नहीं किया।
शंकर का वीडियो और आरोप
गिरफ्तारी से कुछ समय पहले, शंकर ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया। इसमें उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस उनके खिलाफ एक 'झूठे' मामले में कार्रवाई कर रही है, जिसे फिल्म निर्माता ने दायर किया है। उनका दावा था कि यह गिरफ्तारी एक उच्च स्तरीय अधिकारी के निर्देश पर की जा रही है।
शंकर ने कहा, "पुलिस ने दावा किया कि मेरी टीम ने निर्माता से 2 लाख रुपये छीने और उन्हें पीटा, लेकिन ये सभी आरोप पूरी तरह से झूठे हैं। ऐसी कोई घटना नहीं घटी।" उन्होंने इस पूरे मामले को राजनीति से प्रेरित करार दिया और कहा कि ये आरोप न केवल बेबुनियाद हैं, बल्कि मीडिया में उन्हें बदनाम करने की साजिश भी हो सकती है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
शंकर की गिरफ्तारी पर राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएँ भी सामने आई हैं। भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) ने शंकर का समर्थन किया है और मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के नेतृत्व वाली द्रविड़ मुन्नेत्र कज़गम (डीएमके) सरकार की आलोचना की। भाजपा प्रवक्ता नारायणन तिरुपति ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में आरोप लगाया कि डीएमके सरकार ने राज्य में "अराजकता" फैलाई है।
भा.ज.पा. नेता नैनार नागेंद्रन ने कहा, "शंकर को उनके घर में घुसकर गिरफ्तार करना लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है।" भाजपा की सहयोगी पार्टी, एआईएडीएमके ने भी इस गिरफ्तारी को निंदनीय बताया। कांग्रेस के सांसद कार्ति चिदंबरम ने ट्विटर पर कहा, "हालांकि मैं शंकर का समर्थक नहीं हूं, लेकिन उनकी लगातार गिरफ्तारी स्पष्ट रूप से उत्पीड़न का रूप ले चुकी है।"
सार्वजनिक प्रभाव और विवाद
शंकर की गिरफ्तारी ने न केवल सोशल मीडिया पर बहस को जन्म दिया है, बल्कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाता है। इस घटना को लेकर आम जनता में यह चिंता जताई जा रही है कि क्या सोशल मीडिया के जरिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
वहीं, शंकर का पक्ष यह है कि उनके खिलाफ राजनीतिक दबाव बनाया जा रहा है, ताकि वह अपनी सशक्त आवाज को शांत कर सकें। उनका यह कहना है कि यह सब एक बड़े राजनीतिक खेल का हिस्सा है, जहां उनके खिलाफ आरोपों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है।
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