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Up Kiran , Digital Desk: शराब की दुकानों पर तय रेट से ज्यादा वसूली होना अब भी आम बात है। उत्तराखंड के हालिया औचक निरीक्षण में सामने आई चौंकाने वाली रिपोर्ट तो कुछ ऐसा ही संकेत देती है। नियम सख्त कर दिए गए हैं नई नीति में लाइसेंस रद्द करने तक की चेतावनी है मगर फिर भी दुकानदारों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही।

विशेष जांच दल की रिपोर्ट ने खोले कई राज

उत्तराखंड आबकारी मुख्यालय द्वारा गठित विशेष जांच दल ने हाल ही में करीब 50 शराब ठेकों का औचक निरीक्षण किया। ये निरीक्षण एक से तीन मई के बीच आबकारी आयुक्त हरिचंद्र सेमवाल के निर्देश पर हुआ।

परिणाम- 35 से ज्यादा ठेकों पर गंभीर गड़बड़ी पाई गईं। इन दुकानों में तय मूल्य से अधिक वसूली (ओवर रेटिंग) दुकानों पर मूल्य सूची का न लगना शिकायती नंबरों का गलत दर्ज होना सीसीटीवी कैमरों का खराब होना और बिलिंग सिस्टम का न होना जैसी गड़बड़ियां साफ देखी गईं।

नई नीति पुराने खेल

बीते वर्ष की नई आबकारी नीति में पहली बार यह प्रावधान जोड़ा गया है कि ओवर रेटिंग पर ठेका लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। इससे पहले केवल जुर्माना लगता था और दुकानदार उसे एक मामूली खर्च समझकर नजरअंदाज कर देते थे। मगर रिपोर्ट यह बताती है कि अब भी अधिकतर दुकानदार नियमों को ताक पर रखकर काम कर रहे हैं। यानी नीति चाहे जितनी सख्त हो उसका असर तभी होगा जब ज़मीनी स्तर पर उसे ईमानदारी से लागू किया जाए।

जिला-वार रिपोर्ट: कहाँ क्या मिला

जांच रिपोर्ट में तीन प्रमुख जिलों ऊधमसिंह नगर चंपावत और नैनीताल की स्थिति को लेकर विस्तार से जानकारी दी गई है। ऊधमसिंह नगर में यहां सबसे ज्यादा खामियां पाई गईं। ओवर रेटिंग (यानी MRP से अधिक कीमत पर शराब बेचना) और मूल्य सूची दुकानों पर चस्पा नहीं थी। बिलिंग मशीनें या तो मौजूद नहीं थीं या खराब पड़ी थीं। सीसीटीवी खराब और शिकायत पेटी या क्यूआर कोड भी नहीं था।

चंपावत और नैनीताल में भी मूल्य सूची गायब सीसीटीवी सिस्टम खराब और ग्राहक सेवाओं की कमी जैसी समस्याएं मिलीं।

अब क्या होगा

जिला आबकारी अधिकारी एनआर जोशी ने सभी गड़बड़ी की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करके आयुक्त को भेज दी है। उम्मीद की जा रही है कि इस बार लाइसेंस निरस्तीकरण की चेतावनी को गंभीरता से लिया जाएगा और दोषी दुकानों पर कड़ी कार्रवाई होगी।

सख्त नीति तब ही असरदार होगी जब सख्ती से लागू हो

शराब बिक्री एक बड़ा राजस्व स्रोत है मगर यह तभी टिकाऊ और पारदर्शी बन सकता है जब दुकानों पर नियमों की अनुपालना सुनिश्चित हो। ओवर रेटिंग जैसी हरकतें न केवल उपभोक्ताओं को ठगती हैं बल्कि राज्य की ईमानदार छवि को भी नुकसान पहुंचाती हैं।

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