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Up Kiran, Digital Desk: देहरादून इन दिनों दो बड़े आयोजनों का केंद्र बना रहा — एक ओर जहां तकनीक की दुनिया में उत्तराखंड को आगे ले जाने की कोशिशें दिखीं, वहीं दूसरी ओर महिलाओं और बच्चों के पोषण व सशक्तिकरण की दिशा में भी अहम कदम उठाए गए।

आम जनता को मिल सकता है तकनीकी नवाचारों का लाभ

"उत्तराखंड एआई इम्पैक्ट समिट 2025" में हिस्सा लेने आए केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने साफ किया कि भविष्य की तकनीक अब पहाड़ों तक भी पहुंचेगी। ‘हिल्स टू हाई-टेक’ थीम के तहत आयोजित यह समिट सिर्फ एक शिखर सम्मेलन नहीं, बल्कि राज्य की डिजिटल क्षमता को पहचान देने की पहल है। इस आयोजन से न सिर्फ स्टार्टअप्स को बल मिलेगा, बल्कि शिक्षा, शासन और उद्यमिता में भी एआई के नए प्रयोग हो सकेंगे।

संस्थानों और स्टार्टअप्स की भागीदारी से बढ़ी समिट की अहमियत

आईआईटी रुड़की, आईआईएम काशीपुर, यूकॉस्ट, एनआईसी मुख्यालय और कई अन्य अग्रणी संस्थान एवं स्टार्टअप्स के प्रतिनिधियों की उपस्थिति ने इस समिट को और भी महत्वपूर्ण बना दिया। तकनीकी सत्रों में जहां एआई आधारित उद्यमिता और सुशासन पर चर्चा हुई, वहीं "डिजिटल कुंभ" और "गवर्नेंस में एआई" जैसे विषयों पर विश्लेषण ने श्रोताओं को काफी जानकारी दी।

पैनल चर्चा में वैश्विक रुझानों का मूल्यांकन

इस समिट का मुख्य आकर्षण रही पैनल चर्चा जिसमें एआई के वैश्विक विकास और उत्तराखंड पर इसके प्रभाव पर बात हुई। यू.पी.ई.एस. के कुलपति प्रो. राम शर्मा ने इसकी अध्यक्षता की। एनआईसी की एआई सेवाओं पर शर्मिष्ठा दास द्वारा विशेष सत्र भी प्रस्तुत किया गया।