
हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास, जिसे माधव मास भी कहा जाता है, भगवान विष्णु की उपासना के लिए सबसे उत्तम समय माना गया है। इस माह में धार्मिक आस्था और आध्यात्मिक साधना का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार, इस महीने में की गई पूजा, जप, दान और स्नान का अक्षय फल प्राप्त होता है।
स्कंद पुराण में वैशाख मास का महत्व
स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में उल्लेख है:
"न माधवसमो मासो न कृतेन युगं समम्।
न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गंगया समम्।।"
इसका अर्थ है कि माधव मास (वैशाख) जैसा कोई महीना नहीं, सतयुग जैसा कोई युग नहीं, वेदों जैसा कोई शास्त्र नहीं और गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं। यह स्पष्ट करता है कि वैशाख मास अत्यंत पवित्र और फलदायक होता है।
इस महीने ‘ॐ माधवाय नमः’ मंत्र का नित्य कम से कम 11 बार जप करना लाभकारी माना गया है।
तुलसी पूजन का विशेष महत्व
वैशाख मास में तुलसी पत्र से भगवान विष्णु की पूजा करना विशेष फलदायी होता है। माना जाता है कि:
तुलसी पत्र से पूजन करने से स्वास्थ्य और करियर में उन्नति होती है।
घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
इस दौरान घर, मंदिर या कार्यस्थल पर तुलसी का पौधा लगाना और उसकी सेवा करना शुभ होता है।
तुलसी की पूजा से व्यक्ति के जीवन में धार्मिक संतुलन और आध्यात्मिक ऊर्जा बनी रहती है।
स्नान और दान का महत्व
वैशाख मास में स्नान, दान, जप, तप और हवन का भी विशेष महत्व होता है।
इस मास में सुबह जल्दी उठकर स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
यह क्रिया अश्वमेध यज्ञ के समान फल देने वाली मानी जाती है।
नियमित पूजा-पाठ से जीवन में तरक्की, सुख और मन की शांति प्राप्त होती है।
घटदान (मिट्टी के घड़े का दान)
वैशाख मास में घटदान, यानी पानी से भरे मिट्टी के घड़े का दान, करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है।
इसे आप किसी मंदिर, स्कूल, बाग-बगीचे या सार्वजनिक स्थल पर रख सकते हैं।
ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में खुशहाली और पुण्य की प्राप्ति होती है।