
महाराष्ट्र विधानसभा में कांग्रेस के विपक्षी नेता विजय वडेट्टीहीवार ने अपने एक हालिया बयान पर माफी मांग ली है। उनका कहना है कि उनके बयान को जानबूझकर तोड़-मरोड़कर पेश किया गया, जिससे उनके कहने का असली मकसद लोगों तक सही तरीके से नहीं पहुंच पाया।
क्या था पूरा मामला?
विजय वडेट्टीहीवार ने पहलगाम आतंकी हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए सवाल उठाया था:
"क्या आतंकवादियों के पास धर्म पूछने का समय होता है?"
उन्होंने केंद्र सरकार से भी सवाल किया था कि वह हमले की जिम्मेदारी ले और आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे।
उन्होंने कहा था कि आतंकी किसी जाति या धर्म के नहीं होते।
साथ ही यह भी कहा कि दोषियों को पकड़कर उन्हें सख्त सजा दी जानी चाहिए, यही देश की भावना है।
लेकिन, उनके इस बयान को लेकर सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में काफी विवाद खड़ा हो गया।
साफ-साफ कहा- मेरा बयान गलत तरीके से पेश किया गया
आज महाराष्ट्र विधानसभा परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए विजय वडेट्टीहीवार ने सफाई दी।
उन्होंने कहा, "कल मेरे बयान को आधा दिखाया गया और उसे तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया।"
उनका मकसद यह दिखाना था कि आतंकियों ने मासूमों की जान लेकर भारत की एकता और अखंडता को चोट पहुंचाने की कोशिश की है।
वडेट्टीहीवार ने साफ किया कि आतंकियों ने धर्म पूछकर जान ली, यह घटना पहली बार हुई है और इसे बेहद गंभीरता से लेना चाहिए।
भावनाओं को ठेस पहुंची हो तो माफी मांगता हूं: वडेट्टीहीवार
विजय वडेट्टीहीवार ने कहा,
"अगर मेरे बयान से किसी को दुख पहुंचा है, किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची है, तो मैं दिल से माफी मांगता हूं।"
उन्होंने यह भी दोहराया कि उनका मकसद आतंकियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग करना था, न कि किसी समुदाय या पीड़ितों की भावनाओं को आहत करना।
क्या सीख मिलती है इस विवाद से?
नेताओं को संवेदनशील मुद्दों पर बोलते समय अपने शब्दों का बेहद सावधानी से चयन करना चाहिए।
मीडिया को भी पूरे बयान को संदर्भ सहित पेश करना चाहिए ताकि गलतफहमियों से बचा जा सके।
और सबसे महत्वपूर्ण, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हमें एकजुट रहना चाहिए, न कि आपसी विभाजन को बढ़ावा देना चाहिए।
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