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धर्म एवं अध्यात्म डेस्क। सदियों से मनुष्य ये जान्ने का प्रयास करता रहा है कि आखिर में मृत्यु के बाद क्या होता है ? हालांकि कि मनुष्य की ये जिज्ञाषा कभी पूरी नहीं हुई। आज भी तमाम लोग इसी फेर में जीवन के अमूल्य क्षण नष्ट कर रहे हैं। हालांकि पुराणों में मृत्यु के बाद की तमाम चीजों का वर्णन मिलता है। मृत्यु के बाद रहस्य ही रहस्य है। मृत्यु के बाद कर्म के अनुसार व्यक्ति के लिए स्वर्ग और नरक के द्वार खोले जाते हैं।

विष्णु पुराण के अनुसार व्यक्ति को स्वर्ग में भी तमाम तरह की प्रताड़ना झेलनी पड़ती है। विष्णु पुराण के अनुसार व्यक्ति को नरक में दुखों का सामना नकरने के साथ ही स्वर्ग में भी पतन का भय लगा रहता है। स्वर्ग में व्यक्ति को कई  परेशानियों का सामना करना पड़ता है। विष्णु पुराण की एक कथा में श्री पराशर जी कहते हैं कि व्यक्ति के मन में यह भय बना रहता है कि कहीं उसके पुण्य नष्ट न हो जाए।

श्री पराशर जी कहते हैं कि स्वर्ग में सारे पुण्य समाप्त हो जाने के बाद व्यक्ति को पुनः गर्भ में आकर जीवन मृत्यु के चक्र से गुजरना पड़ता है। कई बार तो गर्भ में आने के कुछ समय के बाद ही गर्भ में ही मृत्यु हो जाती है। हालांकि जिस का जन्म हुआ है, उसे कभी न कभी मरना ही होता है। चाहें बाल्यावस्था में, युवावस्था में, मध्यम वय में, या फिर किसी रोग से उस व्यक्ति की मृत्यु निश्चित ही है। जीवित रहते व्यक्ति को अनेकों प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है। यही कष्ट या दुख व्यक्ति को धीरे धीरे अंदर ही अंदर कमजोर बना देते हैं।

विष्णु पुराण के अनुसार मनुष्य को जिन चीजों से स्नेह होता है, वही उसके लिए दुखों का कारण है। मनुष्य को स्त्री, संतान, मित्र, घर, संपत्ति एवं धन आदि चले जाने परअत्यधिक दुख होता है। श्री पराशर जी कहते हैं कि मनुष्य को स्वर्ग और नरक के चक्कर में न पड़कर मोक्ष पाने की कामना करनी चाहिए। इस उद्देश्य के अनुसार ही कर्मों को करना चाहिए। 

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