
Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अप्रैल में दुनिया के कई देशों पर भारी टैरिफ (आयात शुल्क) लगाने के ऐलान के बाद से ही वैश्विक व्यापार जगत में चिंता का माहौल है। भले ही अमेरिका ने बाद में कुछ देशों को 90 दिनों की अस्थायी छूट दे दी हो, लेकिन इस नीति पर सवाल उठने बंद नहीं हुए हैं। अब, दुनिया के सबसे बड़े निवेशकों में से एक और बर्कशायर हैथवे के प्रमुख, वॉरेन बफेट ने भी अमेरिका की इस टैरिफ नीति पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
क्या कहा वॉरेन बफेट ने?
शनिवार को हुई बर्कशायर हैथवे की वार्षिक शेयरधारकों की बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा कि दूसरे देशों से आने वाले सामान पर भारी टैरिफ लगाना एक असंतुलित नीति है। उन्होंने इसके बजाय अपने पुराने सुझाव - 'आयात प्रमाणपत्र' (Import Certificates) मॉडल - को ज़्यादा व्यावहारिक विकल्प बताया।
बफेट ने कहा, "यह प्रणाली (आयात प्रमाणपत्र) थोड़ी दिखावटी लग सकती है, लेकिन मौजूदा नीतियों (टैरिफ) से कहीं ज़्यादा बेहतर है।" उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि टैरिफ जैसी नीतियां आसानी से व्यापार युद्ध (Trade War) का रूप ले सकती हैं, जिससे पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था को खतरा पैदा हो सकता है।
क्या है बफेट का 'आयात प्रमाणपत्र' मॉडल?
वॉरेन बफेट ने पहली बार साल 2003 में इस मॉडल का सुझाव दिया था। इसके तहत:
जो कंपनियां अमेरिका से सामान बाहर भेजती हैं (निर्यात करती हैं), उन्हें उनके निर्यात के मूल्य के बराबर 'प्रमाणपत्र' (Certificates) मिलते हैं।
जो कंपनियां अमेरिका में बाहर से सामान मंगाना चाहती हैं (आयात करती हैं), उन्हें पहले ये प्रमाणपत्र खरीदने होंगे।
कोई भी कंपनी उतना ही माल आयात कर पाएगी, जितने मूल्य के प्रमाणपत्र उसके पास होंगे।
उदाहरण: अगर किसी कंपनी को 10 लाख डॉलर का सामान विदेश से अमेरिका मंगाना है, तो उसे पहले दूसरी कंपनियों से 10 लाख डॉलर मूल्य के निर्यात प्रमाणपत्र खरीदने होंगे।
बफेट का मानना है कि इससे देश का आयात और निर्यात अपने आप बराबर हो जाएगा, बिना किसी टैरिफ या शुल्क के।
"व्यापार कोई जंग का मैदान नहीं"
बफेट ने यह भी साफ किया कि अमेरिका को व्यापार को एक हथियार की तरह इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, "हर देश को वह काम करने देना चाहिए जिसमें वह माहिर है। हमें वही करना चाहिए जिसमें हम सबसे अच्छे हैं, और बाकी देशों को भी वह करने देना चाहिए जिसमें वे बेहतर हैं।"
हालांकि बफेट ने अपनी बातचीत में किसी नेता या पार्टी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके बयान को अमेरिका की हालिया टैरिफ-आधारित नीतियों, खासकर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की संरक्षणवादी (Protectionist) सोच की सीधी आलोचना माना जा रहा है।
यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब अमेरिका और चीन समेत कई बड़े देशों के बीच व्यापार को लेकर तनाव बढ़ रहा है। अब देखना यह होगा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, वॉरेन बफेट के इस बयान पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं। बता दें कि बफेट पहले भी (2016 में) ट्रंप की नीतियों की आलोचना कर चुके हैं।
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