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दिल्ली-NCR में भीषण गर्मी के बीच जल संकट एक गंभीर चुनौती बनता जा रहा है। स्थिति यह है कि करोड़ों की कीमत वाले हाई-राइज़ अपार्टमेंट्स में रहने वाले लोगों को भी टैंकरों और बाल्टियों के सहारे दिन गुजारने पड़ रहे हैं। पानी की किल्लत सिर्फ झुग्गियों या पुरानी कॉलोनियों तक सीमित नहीं रह गई, बल्कि पॉश इलाकों में भी लोग पानी के लिए जूझ रहे हैं।

ग्रेटर नोएडा, गुड़गांव, फरीदाबाद से लेकर गाज़ियाबाद और दिल्ली के कई हिस्सों में पानी की आपूर्ति अनियमित हो गई है। हाउसिंग सोसाइटियों में टैंकर से पानी मंगवाना आम बात हो गई है। इन टैंकरों पर भीड़, झगड़े और लंबी लाइनें आम दृश्य बन चुके हैं।

इस संकट की मुख्य वजह तेजी से बढ़ती आबादी, जल स्रोतों का अंधाधुंध दोहन और वर्षा जल संचयन की उपेक्षा है। सरकारी योजनाएं जैसे अमृत मिशन, जल जीवन मिशन और जल बोर्ड की पाइपलाइनें अभी तक व्यापक स्तर पर असर नहीं दिखा पाई हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अभी भी जल संरक्षण को लेकर ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले वर्षों में हालात और बिगड़ सकते हैं। रेन वाटर हार्वेस्टिंग को सख्ती से लागू करना, भूजल रिचार्ज प्रणाली को सुधारना और जल वितरण में पारदर्शिता लाना समय की मांग है।

इस संकट से निपटने के लिए प्रशासन, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों और आम नागरिकों को मिलकर प्रयास करने होंगे। वरना लाखों के फ्लैट में रहने के बावजूद बाल्टी और टैंकर की लाइन से छुटकारा पाना मुश्किल होगा।

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