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Up Kiran, Digital Desk: उत्तर प्रदेश की सियासत एक बार फिर गर्माने लगी है। 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने साथ आकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) को चुनौती दी थी और उम्मीद से अच्छा प्रदर्शन भी किया था। लेकिन जैसे-जैसे 2027 के विधानसभा चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, गठबंधन की बुनियाद में दरारें साफ़ दिखने लगी हैं। इस बार विवाद की चिंगारी छेड़ी है कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने, जिनके बयानों से साफ़ ज़ाहिर हो रहा है कि कांग्रेस अब सपा के सामने झुकने को तैयार नहीं।

हम क्या कोई भिखारी हैं, मसूद के बयान से सियासी हलचल

समाचार एजेंसी ANI से बातचीत में इमरान मसूद ने जब यह कहा, "हम कोई भिखारी हैं जो समाजवादी पार्टी से भीख मांगेंगे?" — तो मानो इस एक बयान ने यूपी की विपक्षी राजनीति को झकझोर दिया।

उनका कहना है कि कांग्रेस अब बूथ स्तर पर संगठन को मज़बूत कर रही है, कार्यकर्ताओं की महत्वाकांक्षाएं हैं और उन्हें दबाना कांग्रेस के लिए संभव नहीं।

इस बयान में सिर्फ आक्रोश नहीं, बल्कि वह रणनीति भी झलकती है, जो कांग्रेस 2027 की तैयारी में अपनाना चाहती है — स्वाभिमान की राजनीति और हर सीट पर अपनी दावेदारी।

गठबंधन पर अब नहीं चलेगा ‘80-17’ का फॉर्मूला

मसूद के बयान का सबसे दिलचस्प पहलू यह था कि उन्होंने ‘80-17 फॉर्मूला’ को खुलेआम नकार दिया। यानी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली महज़ 17 सीटों की हिस्सेदारी अब विधानसभा चुनाव में नहीं दोहराई जाएगी।

उनका कहना है कि अब समाजवादी पार्टी यह तय नहीं करेगी कि कांग्रेस कितनी सीटों पर लड़ेगी, कांग्रेस हाईकमान ही यह निर्णय करेगा। सम्मानजनक और बराबरी वाला गठबंधन ही अब स्वीकार होगा।

यह बयान सिर्फ सपा को एक स्पष्ट संदेश नहीं देता बल्कि यूपी के मतदाताओं को यह संकेत भी देता है कि कांग्रेस अब फिर से अपने बलबूते मैदान में उतरने को तैयार है।

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