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मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने पर्यटकों पर अचानक हमला कर दिया। इस हमले में 26 पर्यटकों की मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना के बाद देशभर में पाकिस्तान के खिलाफ तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आने लगीं। "उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया जाना चाहिए," यह मांग जोर पकड़ने लगी। इस बीच, भारत ने पाकिस्तान को झिड़कते हुए 'सिंधु जल संधि' को निलंबित करने का फैसला किया है। चूंकि पाकिस्तान की कृषि और बिजली उत्पादन सिंधु नदी पर काफी हद तक निर्भर है, इसलिए इस निर्णय का पाकिस्तान पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। मगर अब कई लोगों के मन में कुछ सवाल उठे हैं - आखिर सिंधु जल संधि क्या है, इस संधि पर कब और किसने हस्ताक्षर किए थे? आइये इस समझौते को समझें-

भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर 1960 को 'सिंधु जल संधि' पर हस्ताक्षर किए गए थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। सिंधु की सहायक नदियाँ दो भागों में विभाजित थीं, पूर्वी और पश्चिमी। सिंधु, चिनाब और झेलम का पानी पाकिस्तान चला गया। भारत रावी, व्यास और सतलुज के पानी का उपयोग करता है।

पहली बार अनुबंध स्थगित

दोनों देशों को इस विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाना होगा। इस विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाना होगा। यदि चर्चा के माध्यम से मुद्दा हल नहीं होता है तो मामले को सिंधु जल पर स्थायी आयोग को भेजा जाएगा। यदि विवाद का समाधान नहीं हुआ तो मामला अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में जाएगा। भारत और पाकिस्तान के बीच पहले भी कई विवाद और युद्ध हुए हैं, मगर यह समझौता अब तक कभी निलंबित नहीं हुआ है। मगर अब पहली बार भारत ने इस समझौते को निलंबित कर दिया है।

पाकिस्तान को बड़ा झटका लगेगा

यदि सिंधु नदी संधि निलंबित कर दी गई तो पाकिस्तान को बड़ा झटका लगेगा। पाकिस्तान को 80 प्रतिशत पानी इन्हीं नदियों से मिलता है। पंजाब और सिंध प्रांतों में कृषि इसी पानी पर निर्भर है। यदि यह पानी बंद कर दिया गया तो इससे पाकिस्तान की कृषि के साथ-साथ बिजली उत्पादन भी प्रभावित होगा।

पाकिस्तान की 80 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि सिंधु नदी प्रणाली के पानी पर निर्भर है। इस पानी का 93 प्रतिशत हिस्सा सिंचाई के लिए इस्तेमाल होता है, अगर यह पानी रोक दिया गया तो पाकिस्तान में कृषि को नुकसान होगा।

कृषि को नुकसान होगा

पाकिस्तान की राष्ट्रीय आय में कृषि क्षेत्र का योगदान 23 प्रतिशत है तथा 68 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। पाकिस्तान के प्रमुख शहर जैसे कराची, लाहौर और मुल्तान सिंधु और उसकी सहायक नदियों के पानी पर निर्भर हैं।

सिंधु नदी पर विद्युत परियोजना

पाकिस्तान की तरबेला और मंगला जैसी बिजली परियोजनाएं सिंधु नदी के पानी का उपयोग करके चलाई जा रही हैं। यदि अनुबंध निलंबित कर दिया गया तो बिजली उत्पादन बंद हो जाएगा।

पाकिस्तान में खाद्यान्न उत्पादन में गिरावट आ सकती है, जिससे खाद्य सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है। पाकिस्तान की शहरी जलापूर्ति बंद हो जायेगी।