
Up Kiran, Digital Desk: ईरान और इजराइल एक दूसरे पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला कर रहे हैं। अमेरिका ने ईरान पर हमला करते हुए बंकर बस्टर बम का इस्तेमाल किया था। अब क्लस्टर बम चर्चा में हैं।
ईरान ने इजराइल और ईरान के बीच युद्ध में क्लस्टर बम का इस्तेमाल किया है। इन बमों ने नागरिकों को बहुत नुकसान पहुंचाया है।
आईडीएफ ने कहा है कि 19 जून को ईरान द्वारा दागी गई कम से कम एक मिसाइल में क्लस्टर बम वारहेड था। दोनों देशों के बीच इस युद्ध में यह पहली बार है जब इस बम का इस्तेमाल किया गया है। यह क्लस्टर बम क्या है?
क्लस्टर म्यूनिशन या बम एक ऐसा बम होता है जिसमें कई छोटे बम होते हैं। यह क्लस्टर बम हवा में खुलता है और इससे निकलने वाले छोटे 'बम' बहुत बड़े क्षेत्र में गिरते हैं और फट जाते हैं।
ये बम एक साथ कई लक्ष्यों पर हमला करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जो टैंकों और सैन्य हथियारों के साथ-साथ सैनिकों को भी नष्ट कर देते हैं।
भारत उन देशों में शामिल है, जिन्होंने क्लस्टर बमों के इस्तेमाल पर रोक लगाने वाली संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
भारत समेत 16 देशों ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए संधि पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। इससे यह साफ हो जाता है कि भले ही भारत ने अब तक इस बम का इस्तेमाल नहीं किया है, लेकिन जरूरत पड़ने पर वह इसका इस्तेमाल कर सकता है।
क्लस्टर बमों के इस्तेमाल के खिलाफ 2008 में एक संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह अंतरराष्ट्रीय संधि क्लस्टर बमों के इस्तेमाल, भंडारण, हस्तांतरण और उत्पादन पर रोक लगाती है।
कुल 111 देशों और 12 अन्य संगठनों ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं। हालांकि, ईरान, इजरायल और अमेरिका समेत प्रमुख देशों ने इस संधि में शामिल होने से इनकार कर दिया है।
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